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—असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को आर्थिक मजबूती मिलेगी
वाराणसी, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में मोदी सरकार-3.0 का बजट पेश किया। मोदी सरकार के 11वें पूर्ण बजट को अर्थशास्त्रियों ने जमकर सराहा है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अर्थशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की मंशा से प्रस्तुत यह बजट समावेशी एवं सतत विकास को रेखांकित करता है। इस बजट में प्राकृतिक कृषि के साथ कृषि साधनों की उत्पादकता वृद्धि, मानव संसाधन विकास, महिला सहभागिता, ग़रीबी उन्मूलन, आधारभूत संरचना निर्माण एवं रोजगार वृद्धि के लक्ष्य सुनिश्चित किये गए हैं।
यह बजट 2047 तक विकसित भारत बनाने का रोड मैप है। इस बजट में कृषि क्षेत्र को 1.52 लाख करोड़ आवंटित किये गए है। तथा आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए जीडीपी का 3.4 फीसद हिस्सा आवंटित किया गया है। डॉ. तिवारी ने कहा कि राजकोषीय घाटा को 4.9 फीसद तक नियंत्रित कर राजकोषीय अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट की गई है। बजट में मुद्रा योजना के तहत ऋण सीमा को दस लाख से बढ़ा कर बीस लाख तक कर दिया गया है। इससे असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। सरकार ने ग़रीबी कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 2022-23 में ग़रीबी का अनुपात घटकर 11.28 फीसद रह गई है। कृषि क्षेत्र में डीपीआई को कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
शिक्षा एवं युवाओं के लिए बजट में प्रावधान पर डॉ .तिवारी ने कहा कि इस बजट में शिक्षा ऋण का ब्याज घटाकर 3 फीसद कर दिया गया है। ताकि छात्र उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए। साथ ही एक करोड़ शिक्षित युवाओं को शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप कराने का लक्ष्य रखा गया है।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला
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