कुशीनगर, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बौद्ध सर्किट के भ्रमण पर कुशीनगर आए यूरोपीय सैलानियों के दल को लीड कर रहे न्यूजीलैंड के 84 वर्षीय जान मैकनॉन ने बौद्ध स्थलों के पूर्व में किए भ्रमण के अनुभवों के आधार पर ‘होम लैंड ऑफ द बुद्धा’ किताब लिखी है, जो ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध है। जान मैकनॉन बुद्धिज़्म को विश्व के समक्ष व्याप्त वर्तमान चुनौतियों के निदान का एकमात्र उपाय बताते हैं। इनका मानना है कि बुद्धिज़्म में करुणा, अहिंसा, सहिष्णुता की जो अवधारणा वह आज के परिवेश के लिए सटीक है। मानवता के लिए इसे लोगों को अनिवार्य रूप से अपनाना चाहिए। यह बातें वह शनिवार काे (Udaipur Kiran) प्रतिनिधि से एक विशेष वार्ता के दौरान बतायी।
उन्हाेंने बताया कि मैं 1964 में पहली बार भारत की यात्रा पर वाराणसी आए थे। उस दौरान वह नेपाल में पहले माउंट एवरेस्ट विजेता सर एडमंड हिलेरी के वालंटियर के तौर पर कार्य करते थे। जान न केवल हिलेरी के मेडिकल एडवाइजर टीम के सदस्य थे, बल्कि हिलेरी के नेपाल में चल रहे शिक्षा स्वास्थ्य की अनेक परियोजनाओं में कार्य किया। नेपाल में कार्य करने के दौरान उनका बुद्धिज़्म से परिचय हुआ। उनकी बार-बार बौद्ध सर्किट में आने की इच्छा होती है। उनका कहना है कि जीवन पर्यन्त बुद्धिज़्म के लिए कार्य करने का संकल्प लिया हुआ है। वह और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।
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(Udaipur Kiran) / गोपाल गुप्ता