West Bengal

सुदूर सुंदरबन की जल-सीमा पर सख्त निगरानी के लिए बीएसएफ ने मांगी डीआरडीओ की मदद

बीएसएफ

कोलकाता, 05 जून (Udaipur Kiran) । भारत-बांग्लादेश की सीमा पर निगरानी को और अधिक सख्त बनाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से तकनीकी सहायता की मांग की है। यह कदम विशेष रूप से सुंदरबन के उस 123 किलोमीटर लंबे जल-सीमा क्षेत्र के मद्देनज़र उठाया गया है, जहां बीएसएफ लगातार गश्त करता है।

बीएसएफ का मानना है कि इस पूरे क्षेत्र में से 113 किलोमीटर में निगरानी की स्थिति को और भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रोन, रडार और ऊंचे ऑब्जर्वेशन टावरों की मदद से घने जल-जंगलों में निगरानी को पुख्ता किया जा सकता है। बीएसएफ ने इस बाबत डीआरडीओ से संपर्क किया है ताकि तकनीकी संसाधनों के माध्यम से सुंदरबन क्षेत्र को सुरक्षा के लिहाज़ से अभेद्य बनाया जा सके।

सूत्रों के अनुसार, बीएसएफ इस इलाके में कम से कम सात ऑब्जर्वेशन टावर बनाना चाहता है। इसके लिए कोलकाता में राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक ज़मीन आवंटित नहीं की गई है। इस विलंब की जानकारी बीएसएफ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी दी है।

पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सुंदरबन के इस संवेदनशील क्षेत्र में टावरों का निर्माण अब प्राथमिकता बन चुका है।

पिछले वर्ष पांच अगस्त को बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद, वहां के कुछ कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियों में तेजी आई है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के पास यह इनपुट है कि इन संगठनों का उद्देश्य भारत में घुसपैठ कर बड़े पैमाने पर आतंकी गतिविधियां अंजाम देना है। यह जानकारी पश्चिम बंगाल सहित सभी सीमा राज्यों के प्रशासन के साथ साझा की गई है।

फिलहाल सुंदरबन क्षेत्र में बीएसएफ की कई बीओपी (बॉर्डर आउट पोस्ट) और दो ऊंचे निगरानी टावर मौजूद हैं। इसके साथ ही कई स्पीड बोट्स भी तैनात हैं, जो जलपथ पर गश्त करते हुए ‘फ्लोटिंग आउट पोस्ट’ के रूप में कार्य करती हैं। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए टावरों की संख्या बढ़ाना समय की मांग बन चुकी है।

इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से सहयोग की अपील की गई है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “राज्य सरकार के साथ जमीन संबंधी मुद्दों पर बातचीत चल रही है। बीएसएफ ने किन-किन इलाकों में कितनी जमीन की आवश्यकता है, इसका स्पष्ट प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है कि जल्द ही इस पर समाधान निकलेगा।”

इसी बीच, केंद्र सरकार ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया में भी तेजी ला चुकी है। अब तक 2000 से अधिक बांग्लादेशियों को सीमापार ‘पुश बैक’ किया जा चुका है।

इस अभियान में दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, असम, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य सरकारों ने केंद्र को सक्रिय सहयोग दिया है। हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर राज्य में रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान कर जल्द से जल्द उन्हें सीमा पार भेजने में सहयोग मांगा है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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