26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘आपरेशन विजय’ को सफलता पूर्वक अंजाम दिया था
धमतरी, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । शासकीय हाई स्कूल बाजार कुर्रीडीह में कारगिल विजय दिवस मनाया गया। इस खास अवसर पर विद्यार्थियों के लिए भाषण, निबंध, कविता, चित्रकला प्रतियोगिता एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कारगिल दिवस की महत्ता बताते हुए व्याख्याता डा आशीष नायक ने कहा कि भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस ,शौर्य ,पराक्रम और देशभक्ति का परिचय देते हुए घुसपैठिए आतंकवादियों को देश से खदेड़ दिया और कारगिल की चोटी पर तिरंगा लहराया, तब से इस दिवस को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। देश में भारत माता के कई वीर सपूतों ने भी अपना जीवन समर्पित कर दिया उन वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने इस विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही देशभक्ति और वीरता से ओत प्रोत नारे भी लगाए गए। बच्चों के द्वारा बनाए गए चित्रों का प्रदर्शन भी किया गया। संस्था प्रमुख अभय राम ध्रुव ने भी विद्यार्थियों को ऐसी ही वीरता और साहस अपनाने और मन में राष्ट्र प्रेम का भाव विकसित करने प्रेरित किया। कार्यक्रम में कमलेश कुमार निषाद, शिव कुमारी नेताम, दीप्ति साहू भावना रामटेके एवं सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
पार्षदों ने बलिदानियों का किया पुण्य स्मरण
धमतरी शहर के महिमा सागर वार्ड स्थित कारगिल उद्यान में एमआईसी सदस्य कमलेश सोनकर,वार्ड पार्षद दीपक सोनकर, नरोत्तम यादव, भूपेश साहू ने विजय स्मारक के समक्ष श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले सैनिकों की बलिदान को नमन किया। कारगिल विजय दिवस पर एमआईसी सदस्य कमलेश सोनकर ने कहा कि 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘आपरेशन विजय’ को सफलता पूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चुंगल से मुक्त कराया था। बलिदानियों ने भारतीय सेना के शौर्य व बलिदान को उस समय सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन किया। वार्ड पार्षद दीपक सोनकर ने कारगिल युद्ध में बलिदानियों के बलिदान पर कहा कि जिस राष्ट्र ध्वज के आगे कभी उनका माथा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृ भूमि के इन बलिदानी जांबाजों से लिपटकर उनकी गौरव गाथा का बखान कर रहा था। मातृ भूमि पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाले अमर बलिदानी भले ही अब हमारे बीच नहीं है, मगर इनकी यादें हमारे दिलो में हमेशा-हमेशा के लिए बसी रहेगी।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल