

सीतापुर, 7 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । नैमिष व्यास पीठाधीश्वर जगदाचार्य श्री स्वामी देवेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज शुक्रवार की सुबह ब्रह्मलीन हो गए। वे नैमिषारण्य में स्वामी नारदानंद आश्रम से जुड़े थे, जहां उन्होंने आज अंतिम सांस ली।
लगभग 80 वर्ष की उम्र के रहे देवेन्द्रानंद की गिनती बड़े संत के रूप में रही है। विलक्षण व्यक्तित्वों में से एक स्वामी जी का गहरा ज्ञान वेदों, पुराणों, शास्त्रों और सनातन धर्म की परंपराओं में अद्वितीय था। उन्होंने अपने जीवन को धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार में समर्पित किया।
उनके ब्रह्मलीन होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार ,विश्व हिंदू परिषद, एवं जनपद के विभिन्न धार्मिक एवं आध्यात्मिक संगठनों की ओर से गहरी शोक संवेदना व्यक्त की गई है।
मिश्रिख,सांसद अशोक रावत, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा , भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ल, मिश्रिख विधायक रामकृष्ण भार्गव,मुनेन्द्र अवस्थी,भरत त्रिपाठी सहित कई नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि देवेन्द्रानंद जी विलक्षण प्रतिभा के संत थे। नारदानंद आश्रम को उनके रहते संचालित किया जाता रहा, उनकी शिक्षाएं और विचार अनगिनत भक्तों के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे।
उनका ब्रह्मलीन होना न केवल संत समाज बल्कि पूरे अध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
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(Udaipur Kiran) / Mahesh Sharma
