मंडी, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सुकेत रियासत की आदि राजधानी पांगणा के पश्चिमी छोर पर अवस्थित पंज्याणु गांव की लीना शर्मा जैविक खेती के प्रसार और सफलता की पर्याय बन गई है। पंज्याणु गांव में लगभग एक दशक पूर्व जैविक खेती को अपनाकर लीना शर्मा ने एक ऐतिहासिक शुरूआत की। लीना शर्मा के जैविक खेती के क्षेत्र में सतत् प्रयासों से कृषि व्यवसाय एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आ रहा है और लोगों कम लागत की खेती की ओर प्रेरित होते जा रहे हैं।
जैविक खेती का अस्तित्व पशुपालन व्यवसाय से अभिन्न रूप से जुड़ा है। चूंकि जैविक खेती का आधार जीवामृत और घन जीवामृत है जैसे तैयार पोषक घटक हैं जो गोधन के अवशिष्ट गोबर और गोमूत्र से मुख्यतरू तैयार होते हैं।
संस्कृति मर्मज्ञ डॉक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि रासायनों के प्रयोग पर अधिकत्तम उत्पाद पर आधारित खेती ने जहां भूमि की नैसर्गिक उर्वरता को समाप्त कर दिया है वहीं कृषि-बागवानी की रीढ़ पशुधन भी घर-देहात से लुप्त हो चुके हैं। गोबर कम्पोस्ट के अभाव में आज कृषि व बागवानी उत्पाद और गुणवत्ता दयनीय स्थिति तक चुकी है। प्रदेश सरकार ने पशुपालन और कृषि क्षेत्र को विस्तार देने के लिए तीन रूपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीद का आश्वासन दिया है। परंतु इस आश्वासन का क्रियान्वयन होने से पूर्व लीना शर्मा ने अपने अन्वेषी पति अमर शर्मा के भरपूर सहयोग से जैविक खेती की सम्भावनाओं को सुलभ बनाने के लिए व्यावसायिक तौर पर जीवामृत और घन जीवामृत को तैयार करने का बीड़ा उठाया है।
लीना शर्मा स्थानीय स्तर पर गोबर और गोमूत्र बड़े स्तर पर खरीद कर बड़े पैमाने पर जीवामृत और घन जीवामृत तैयार कर रही हैं। जिसकी आपूर्ति शिमला जिले के चौपाल, कोटखाई, रोहड़ु क्षेत्र के बागवानी व बल्ह क्षेत्र में हो रही है। करसोग क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान सुरेश शर्मा ने कहा कि जहां महिलाएं दूध बेचती है वहीं अब गोबर गोमूत्र भी बेच कर जहां अच्छा मुनाफा तो कमा ही रही है वही सरकार के गोबर और गोमूत्र खरीद वाले सपने को भी साकार रही है। आज तक लीना शर्मा लगभग 10 क्विंटल गोबर और 150 लिटर गौमूत्र खरीद चुकी है।
लाभान्वित महिलाओं में ममता शर्मा, मीरा देवी शांता शर्मा, सावित्री, पूजा शर्मा, तारा शर्मा इत्यादि का कहना है कि इस तरह से गाय से दूध के साथ-साथ गोबर, गोमूत्र भी इकठ्ठा कर लीना शर्मा को बेचती है। जिससे हमारी आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है। इस प्रकार लीना शर्मा के सुदीर्घ प्रयासों से आज जैविक खेती व्यावसायिक खेती का रूप धारण कर रही है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा