Maharashtra

समुद्री जल को मीठा बनाने की परियोजना, बीएमसी जल्द मंगाएगी टेंडर

मुंबई, 2 मई (Udaipur Kiran) । समुद्री जल के खारे पानी को मीठा बनाने की परियोजना पर मुंबई महानगपालिका ने फिर से मंथन शुरू कर दिया है। इस परियोजना को मुंबई के मनोरी में स्थापित करने के लिए टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। राज्य सरकार का निर्देश मिलने के बाद मुंबई मनपा ने फिर से परियोजना को स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है।

मुंबई में पानी की लगातार बढ़ रही मांग को देखते हुए समुद्री जल का शुद्धिकरण कर उसे उपयोग में लाने का विचार है. हालांकि इस परियोजना के लिए टेंडर प्रक्रिया पहले रद्द की जा चुकी है। इस बीच मनपा प्रशासन को सरकार की ओर से नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश मिलने के बाद अब एक बार फिर से नए टेंडर जारी करने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर लागू कर दी जाएगी। मुंबई शहर और उपनगरों को सात झीलों से प्रतिदिन 3,950 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है। पिछले कुछ वर्षों मुंबई में लगातार बढ़ रही आबादी को देखते हुए पानी के स्त्रोत बनाने जरूरी हो गए हैं। एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार साल 2041 तक मुंबई की जनसंख्या 25 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। रोजाना 6,426 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होगी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए मनपा ने समुद्री जल को मीठा करने वाली एक विलवणीकरण परियोजना को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया है। पहले चरण में मुंबईकरों को प्रतिदिन 200 मिलियन लीटर ताजा पानी मिलेगा। परियोजना के दूसरे चरण में इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी। इससे मुंबईकरों को 400 मिलियन लीटर पानी मिल सकेगा। यह मुंबई में पहली परियोजना होगी। मुंबई महानगरपालिका ने दिसंबर 2023 से टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन विभिन्न कारणों के कारण निविदा प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी थी।

यह काफी महंगा प्रोजेक्ट था, इसलिए राजनीतिक विरोध भी हुआ। इसके अलावा कई तकनीकी मुद्दे भी सामने आए। नियम व शर्तों के कारण कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण समय सीमा बढ़ाई जा रही थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि निविदा प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में होने के बावजूद इसमें धांधली हो रही है। इसलिए, इस विवादास्पद परियोजना की निविदा रद्द कर दी गई। मनपा ने फिर से टेंडर जारी करने का निर्णय लिया था। इस बार निविदा केवल 15 दिन की समय सीमा के साथ जारी की गई थी। केवल एक कंपनी ने ही आवेदन किया था, इसलिए निविदा जमा करने की अंतिम तिथि 29 अगस्त तय की गई थी। इसके बाद भी इस कंपनी के अलावा किसी अन्य कंपनी ने बोली लगाने में उत्साह नहीं दिखाया। कम प्रतिक्रिया के कारण मनपा ने टेंडर प्रक्रिया रद्द करने का निर्णय लिया। इस पर तीखी राजनीतिक बहस भी हुई थी। ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि इस परियोजना में कोई सच्चाई नहीं थी। यह स्पष्ट किया गया कि मनपा का नया टेंडर जारी करने का कोई इरादा नहीं है। किसी भी परियोजना के लिए निविदा जारी होने के बाद कम से कम तीन कंपनियों का शामिल होना आवश्यक होता है। उसके बाद ही अगली प्रक्रिया की जाती है। हालांकि, मनपा को बताया गया कि परियोजना के संबंध में नए नोटिस मिलने के बाद नई निविदा प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। परियोजना पर काम चल रहा है।

इस परियोजना को चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना पर पिछले छह वर्षों से चर्चा चल रही है। इस परियोजना के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया गया है और एक अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की गई है। इस बीच, टेंडर प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्पन्न समस्याओं के कारण यह परियोजना केवल चर्चा में ही रह गई है। विलवणीकरण परियोजना के लिए पानी लाने और छोड़ने के लिए समुद्र में दो-दो किलोमीटर लंबी सुरंगें बनानी पड़ेंगी।

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(Udaipur Kiran) / वी कुमार

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