
हुगली, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । चुंचुड़ा के तृणमूल विधायक असित मजूमदार की हालिया टिप्पणी ने स्थानीय राजनीति में तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। उनकी अपनी योग्यता पर सवाल उठाने वाली बात, खासकर विधायक के तौर पर मिलने वाले वेतन और लाभों के संदर्भ में, ने न केवल विपक्षी दलों को हमला करने का मौका दिया है, बल्कि उनके अपने बयान की व्याख्या को लेकर भी बहस छेड़ दी है।
असित मजूमदार ने एक सार्वजनिक बैठक में अपनी पिछली नौकरी का जिक्र करते हुए कहा कि वे पहले 40-50 हजार रुपये मासिक वेतन पर काम करते थे, लेकिन अब विधायक के रूप में उन्हें एक-1.5 लाख रुपये से अधिक का वेतन, पांच लाख रुपये सालाना हवाई यात्रा भत्ता, मुफ्त रेल यात्रा और असीमित चिकित्सा लाभ मिलते हैं। उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया, जिसके बाद यह विवाद और गहरा गया।
इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया। हुगली सांगठनिक जिला भाजपा के महासचिव सुरेश साव ने इसे विधायक की अक्षमता की स्वीकारोक्ति करार देते हुए कहा कि वे दीदी (ममता बनर्जी) की दया पर निर्भर हैं और उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। साव ने यह भी जोड़ा कि चुंचुड़ा की जनता को अपने मतदान के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। दूसरी ओर, तृणमूल के कुछ नेताओं और समर्थकों ने इसे व्यंग्य के तौर पर लिया, लेकिन विपक्षी खेमे ने इसे मौके के रूप में भुनाने की कोशिश की।
हालांकि, असित मजूमदार ने अपने बयान का बचाव करते हुए स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी का मकसद कार्यकर्ताओं को मतदाता सूची तैयार करने में ईमानदारी बरतने के लिए प्रेरित करना था। उन्होंने कहा कि कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा धोखाधड़ी की शिकायतें मिली थीं, और उनका इरादा कार्यकर्ताओं को यह समझाना था कि पार्टी के निर्देशों का पालन करें और गलत कामों से बचें। उनका दावा है कि उनके शब्दों को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
