कोलकाता, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले की मदारीहाट विधानसभा सीट पर अगले महीने होने वाले उपचुनाव में चार तरफा मुकाबला होने वाला है। भाजपा इस सीट को बरकरार रखने के लिए अपने प्रमुख नेता और दो बार के विधायक मनोज टिग्गा की स्वच्छ छवि और लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है। उन्हें मुख्य रूप से चुनाव प्रचार और जीत की कमान सौंपी गई है।
मनोज टिग्गा फिलहाल अलीपुरद्वार से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं। मदारीहाट में उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि टिग्गा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अलीपुरद्वार से जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा ने मदारीहाट से राहुल लोहार को उम्मीदवार बनाया है।
राहुल लोहार के सामने तृणमूल कांग्रेस के जय प्रकाश टोप्पो हैं, जो राजनीति में नए हैं लेकिन संगठन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। कांग्रेस और वामपंथी मोर्चा ने इस बार राज्य की छह विधानसभा सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इनमें मदारीहाट भी शामिल है।
वाम मोर्चा ने इस सीट से क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी (आरएसपी) के उम्मीदवार पदम ओरांव को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने विकाश चाम्परामारी को उम्मीदवार बनाया है।
मदारीहाट छह सीटों में से एकमात्र सीट है, जहां 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जबकि तृणमूल कांग्रेस ने बाकी पांच सीटों पर कब्जा किया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टिग्गा की स्वच्छ छवि और उनकी लोकप्रियता के अलावा, भाजपा के लिए एक और राहत की बात यह है कि मदारीहाट में तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन अब तक प्रभावी नहीं रहा है।
1962 से 2016 तक मदारीहाट आरएसपी का मजबूत गढ़ रहा है। इस दौरान 12 बार लगातार आरएसपी के उम्मीदवार जीतते रहे। केवल 1967 के चुनाव में कांग्रेस का उम्मीदवार यहां से जीता था।
मदारीहाट का राजनीतिक समीकरण 2016 में पहली बार बदला, लेकिन यह बदलाव तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में नहीं था। 2016 में टिग्गा ने पहली बार भाजपा के उम्मीदवार के रूप में इस सीट से 22 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
2021 के विधानसभा चुनाव में टिग्गा ने अपनी जीत का अंतर बढ़ाकर 29 हजार से ज्यादा कर लिया था।
2024 के लोकसभा चुनाव में, अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से एक मदारीहाट ने टिग्गा को एक बड़ी बढ़त दिलाई। इससे उन्हें लोकसभा में जीत सुनिश्चित हुई।
मदारीहाट विधानसभा सीट, जो अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है, के मतदाताओं की संख्या दो लाख से थोड़ी अधिक है। यहां के लोग मुख्य रूप से कृषि, चाय बागानों और पर्यटन पर निर्भर हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर