
जम्मू, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । कश्मीर से विस्थापित समुदाय की कश्मीर घाटी में वापसी और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण और समावेशी योजना की जरूरत है। मुद्दे को सतही तरीके से बदलने की कोई भी कोशिश उल्टा असर डालेगी।
भाजपा के पूर्व एमएलसी और प्रवक्ता गिरधारी लाल रैना ने पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही। उनके साथ जम्मू-कश्मीर भाजपा के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रदीप महोत्रा भी थे। वे हाल ही में राज्य विधानसभा में इस मुद्दे पर हुई चर्चा पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण जरूरत हितधारकों के साथ चर्चा करना है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर है तो उसे विस्थापित समुदाय के नेतृत्व के साथ बातचीत करनी चाहिए ताकि उनके डर, आशंकाओं और आकांक्षाओं को समझा और उनका समाधान किया जा सके।
जीएल रैना ने राजनीतिक प्रवासियों और विस्थापित समुदाय के बीच अंतर करने की जरूरत पर जोर दिया। उनकी चिंताएं, परेशानियां और कठिनाइयां बिल्कुल अलग हैं। विस्थापित समुदाय, खास तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यक हिंदू, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से उजड़ चुके हैं। उनकी वापसी और पुनर्वास में इन सभी पहलुओं को व्यापक रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
सुरक्षा, सम्मान और संरक्षा के अलावा उनकी व्यक्तिगतता और सामुदायिक पहचान से समझौता किए बिना परिवेश के साथ पुनः एकीकरण सर्वोपरि है। रैना ने जोर देकर कहा कि सरकार की गंभीरता इस दिशा में उठाए गए कदमों पर निर्भर करेगी।
व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों तरह की अचल संपत्ति पर अवैध अतिक्रमण भी विस्थापित समुदाय को गंभीर रूप से परेशान कर रहा है। अतिक्रमित संपत्ति की संकटकालीन बिक्री को भी उचित तरीके से संभालने की जरूरत है।
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(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
