

नई दिल्ली, 11 मार्च (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में फर्जी मतदाता का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ही एक-दूसरे पर फर्जी नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने का आरोप लगा रहे हैं। मंगलवार को भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं।
इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार (शिक्षा राज्य मंत्री), पश्चिम बंगाल के भाजपा सह-प्रभारी अमित मालवीय, समिक भट्टाचार्य (सांसद) और ओम पाठक शामिल रहे। बाद में मीडिया से बात करते हुए अमित मालवीय ने बताया कि आज भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की। हमने मतदाता सूची संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया। हमने चुनाव आयोग को अवगत कराया है कि बंगाल में 13 लाख 3 हजार 65 फर्जी मतदाता हैं।इनके नाम और उम्र समान हैं। हमने चुनाव आयोग को यह भी बताया है कि लगभग 8,415 मतदाता हैं, जिसके एक जैसे एपिक नंबर हैं।अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि पिछले 14 वर्षों में ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को व्यवस्थित रूप से मतदाता सूची में घुसपैठ कराया है। हमने चुनाव आयोग से मतदाता सूची से फर्जी वोटरों को चिह्नित करके उन्हें सूची से हटाने की मांग की है। ताकि हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से समझौता न हो। हमने चुनाव आयोग का ध्यान पश्चिम बंगाल में चुनावी प्रक्रिया में हुई हिंसा की ओर भी दिलाया। चुनाव आयोग ने हमें आश्वासन दिया है कि वे हमारी मांगों पर गौर करेंगे और उचित कदम उठाएंगे।
उधर, तृणमूल कांग्रेस का भी प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचा और फर्जी वोटर की शिकायत की। टीएमसी प्रतिनिधिमंडल की सदस्य सांसद सागरिका घोष ने मीडिया को बताया, डुप्लीकेट एपिक का मुद्दा बेहद गंभीर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद से सभी विपक्षी दलों ने इसे स्वीकारा है। जब से हमने डुप्लीकेट एपिक नम्बर के बारे में ठोस सबूत दिए हैं, तब से चुनाव आयोग हमें यह नहीं बता रहा है कि कितने डुप्लीकेट एपिक हैं। उन्होंने बताया कि आयोग को हमने कुछ सुझाव दिए हैं कि कैसे मतदाता सूचियों को साफ किया जा सकता है। यदि मतदाता सूची में कोई बदलाव है, तो चुनाव आयोग को एक अलग सूची जारी करनी चाहिए और उल्लेख करना चाहिए कि कहां जोड़ा और परिवर्तन किए गए हैं। हमने पहले ही डुप्लीकेट एपिक नंबर पर ठोस सबूत दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बात के विश्वसनीय सबूत हैं कि आधार कार्ड की क्लोनिंग की जा रही है और उनका इस्तेमाल फर्जी मतदाता पंजीकरण के लिए किया जा रहा है। चुनाव आयोग कैसे सुनिश्चित करेगा कि आधार कार्ड की क्लोनिंग से एपिक प्रभावित नहीं होगा? पारदर्शिता और कठोर जांच जरूरी है। टालमटोल से काम नहीं चलेगा। चुनाव आयोग को अपनी बात पर अमल करना होगा, क्योंकि सही मतदाता सूची स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
