जम्मू, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को नेश्नल कांफ्रेंस पर तीखा हमला किया और उस पर क्षेत्र में प्रतिष्ठित हिंदू स्थलों का नाम बदलने की विवादास्पद योजना बनाने का आरोप लगाया। भाजपा का दावा है कि यह कदम क्षेत्र का इस्लामीकरण करने और इसकी समृद्ध हिंदू विरासत को मिटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव दीप्ति रावत भारद्वाज ने कथित तौर पर ‘शंकराचार्य हिल’ का नाम बदलकर ‘तख्त-ए-सुलेमान’ और ‘हरि पर्वत’ का नाम बदलकर ‘कोह-ए-मारन’ करने की नेकां की निंदा की। भारद्वाज ने इसे कश्मीर की लंबे समय से चली आ रही हिंदू परंपराओं को खत्म करके प्रांत का इस्लामीकरण करने का एक बेशर्म कदम बताया। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदुओं के आस्था केंद्र के साथ छेड़छाड़ करने के लिए नेकां के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया।
भारद्वाज ने जोर देकर कहा, एनसी के घोषणापत्र में हमारे आस्था के प्रतीकों का नाम बदलने की बात कही गई है। अब्दुल्ला परिवार और राहुल गांधी को राज्य के लोगों को इस कदम के पीछे अपने इरादे स्पष्ट करने चाहिए। उन्होंने कहा, एनसी जो कर रही है, वह कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के साथ विश्वासघात है और इस क्षेत्र पर एक अखंड पहचान थोपने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस कदम का पूरी ताकत से विरोध करेगी। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मंत्री प्रिया सेठी जिनके साथ भाजपा जम्मू-कश्मीर की महिला मोर्चा की अध्यक्ष संजीता डोगरा भी थीं ने भी एनसी की कथित योजनाओं का कड़ा विरोध किया। सेठी ने नेकां प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इन प्रतिष्ठित हिंदू स्थलों का नाम बदलने का कदम अन्यत्र अपने आकाओं को खुश करने के लिए था। सेठी ने चेतावनी देते हुए कहा, लोगों को बांटने की यह एक खतरनाक रणनीति है। भाजपा इस इस्लामीकरण को होने नहीं देगी। उन्होंने एनसी के कथित कदम के समय पर भी ध्यान दिया, यह सुझाव देते हुए कि यह विशेष रूप से भड़काऊ था क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाटी की अपनी हालिया यात्रा के दौरान शंकराचार्य हिल पर मत्था टेका था।
शंकराचार्य हिल और हरि पर्वत दोनों ही महत्वपूर्ण हिंदू विरासत के स्थल हैं। हरि पर्वत एक ऐतिहासिक किला है जिसका हिंदू महत्व बहुत गहरा है, जबकि सबसे प्रतिष्ठित हिंदू संतों में से एक आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले शंकराचार्य हिल का दौरा किया था जिसने कश्मीर के सांस्कृतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
दीप्ति रावत भारद्वाज ने आगे जोर देकर कहा कि यह कथित नाम बदलने का प्रयास एक अलग घटना नहीं है बल्कि कश्मीर में हिंदू विरासत को मिटाने के एक व्यापक ऐतिहासिक प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने क्षेत्र में हिंदू समुदाय को कमजोर करने के चल रहे प्रयासों के सबूत के रूप में तीन दशक पहले कश्मीरी पंडितों के पलायन का संदर्भ दिया।
भारद्वाज ने कहा, यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि कश्मीर की हिंदू विरासत को मिटाने में उनकी ऐतिहासिक मिलीभगत का सिलसिला है। तीन दशक से भी ज़्यादा समय पहले, कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर निकाल दिया गया था जिसके कारण समुदाय का पलायन हुआ। वे अपनी मातृभूमि में शरणार्थी बने हुए हैं।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा