
नागदा, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । उज्जैन जिले के नागदा में संचालित तीन उद्योग प्रदूषण के आरोप में एनजीटी (नई दिल्ली) के चंगुल में फंस गए हैं। तीनों इंड्रस्टीज पर प्रकरण पंजीबद्ध हुआ है। जिसमें देश में मशहूर बिड़ला घराना का ग्रेसिम एवं इसी कंपनी का केमिकल डिवीजन उद्योग का नाम भी शामिल है। यहां संचालित विदेशी कंपनी के लैंक्सेस उद्योग को भी नोटिस जारी हुआ है। प्रकरण में मुख्य सचिव के माध्यम से मप्र शासन एवं मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी प्रतिवादी बनाया गया है। जिला कलेक्टर उज्जैन को भी बतौर प्रतिवादी नोटिस भेजा गया। उक्त सभी की भौतिक सुनवाई फरीदकोट हाउस नई दिल्ली में सात मई 2025 को निर्धारित है।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने यह कार्यवाही एक पत्र याचिका के आधार पर पंजीकृत की है। यह मूल आवेदन एनजीटी में क्रमांक 875/2019 पर पंजीकृत हुआ था। इस शिकायती आवेदन पर 27 जनवरी 2025 को न्यायाधिकरण पर सुनवाई हुई। लेकिन इस सुनवाई में मात्र एक प्रतिवादी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अभिभाषक ने भाग लिया। शेष प्रतिवादियों को अब नोटिस जारी कर तलब किया गया है। जिनका अब अपना-अपना पक्ष सात मई को दिल्ली में रखना है। प्रतिवादियों को जारी नोटिस की एक प्रति हिंदुस्थान समाचार संवाददाता के पास सुरक्षित है। उक्त कार्रवाई भाजपा कार्यकर्ता शंकरलाल प्रजापत निवासी नागदा की शिकायत पर हुई है। प्रजापत ने हिंदुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि उन्होंने शहर में जारी प्रदूषण को लेकर एनजीटी में एक शिकायती पत्र प्रेषित किया था।
मामले को एनजीटी ने गंभीरता से लिया और प्रकरण पंजीबद्ध किया है। नोटिस की प्रति भी प्राप्त हुई है सुनवाई में अभिभाषक के माध्यम से पक्ष रखा जाएगा।
दरअसल, ग्रेसिम उद्योग में विस्कोसप फाईबर का निर्माण किया जाता है। जिसका उपयोग कपड़ा बनाने में होता है। ग्रेसिम के उत्पादन में सेल्यूलोज, सीएसटू गैस एवं पानी का उपयोग रा मटेरियल के रूप में होता है। वातावरण में सीएसटू गैस के प्रदूषण के आरोप कई बार ग्रेेसिम पर लगे हैं। ग्रेसिम से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ और रसायुक्त पानी किसी समय एटीपी प्लांट के बाद चंबल नदी में मिला करता था। लेकिन कुछ वर्ष पहले एनजीटी भोपाल के आदेश पर जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट का निर्माण ग्रेसिम ने किया है। उसके बाद ग्रेसिम प्रबंधन का दावा है कि इस प्लांट निर्माण के बाद एक बूंद भी पानी बाहर नहीं निकलता है। इसी संस्थान की और यूनिट ग्रेसिम केमिकल डिवीजनन को भी एनजीटी ने प्रतिवादी बनाया है। इस उद्योग में ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरिन, एवं कास्टिक सोड़ा बनता है। लैक्सेस उद्योग में कार्बनिक रसायन जैसे बैंजीन, फिनोल बैजल्डीहाइड एवं बैजाईक एसिड आदि का उत्पादन होता है।
(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया
