
कोलकाता, 13 मई (Udaipur Kiran) । बीरभूम जिले की कई पत्थर खदानें इस समय खुफिया एजेंसियों की निगरानी में हैं। आशंका जताई जा रही है कि पत्थर विस्फोट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों तक आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल के सदस्य पहुंच बना सकते हैं। ये खदानें खासकर उन मामलों में खुफिया एजेंसियों के निशाने पर हैं, जो बिना लाइसेंस और जरूरी दस्तावेजों के अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं।
पिछले तीन दिनों में बांग्लादेश-आधारित कट्टरपंथी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई है। गिरफ्तार किए गए तीन में से दो आरोपित — आजमल हुसैन और साहेब अली खान —बीरभूम के नलहाटी क्षेत्र से सक्रिय थे।
पूछताछ में सामने आया है कि ये दोनों न केवल स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की ओर प्रेरित कर रहे थे, बल्कि उन्होंने स्थानीय खदानों के कुछ कर्मचारियों से संबंध भी स्थापित कर लिए थे ताकि पत्थर विस्फोट में प्रयुक्त होने वाले विस्फोटकों का कुछ हिस्सा प्राप्त किया जा सके। जांचकर्ता अब इन खदानों से जुड़े उन कर्मचारियों की पहचान में जुटे हैं, जिनसे आरोपित संपर्क में थे। साथ ही, यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या आरोपितों ने पहले ही कुछ विस्फोटक हासिल कर लिए थे या नहीं।
पुलिस की विशेष कार्यबल ने इन दोनों के अलावा अबासुद्दीन मोल्ला नामक तीसरे आरोपित को भी गिरफ्तार किया है, जो दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र स्थित पत्रा गांव से ऑपरेट कर रहा था।
राज्य पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों से जुड़े दो अन्य सहयोगियों की भी पहचान हुई है, जो अभी फरार हैं। जांच के हित में फिलहाल उनके नामों का खुलासा नहीं किया गया है।
उधर, हाल ही में केंद्र सरकार को खुफिया एजेंसियों से यह जानकारी भी मिली थी कि बांग्लादेश से अवैध रूप से घुसे कुछ तत्वों की भूमिका अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर हुई हिंसा और तोड़फोड़ में रही है।
इस दौरान तीन बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों—जेएमबी, हिज्ब उत-तहरीर (एचयूटी) और अंसरुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी)—के नाम सामने आए थे।
इस पूरे मामले में राज्य और केंद्र, दोनों स्तरों पर सतर्कता बढ़ा दी गई है, ताकि आतंकवाद के किसी भी संभावित नेटवर्क को समय रहते निष्क्रिय किया जा सके।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
