पटना,26 नवम्बर (Udaipur Kiran) । बिहार विधानमंडल (विधानसभा-विधान परिषद) में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बेतिया राज की करीब 15 हजार एकड़ से ज्यादा भूमि को लेकर विधानमंडल में विधेयक पेश किया जो ध्वनि मत से पास हो गया है।
विधेयक पेश करने के पहले राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल ने बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि बेतिया राज की संपत्ति में उत्तर प्रदेश और बिहार में 15 हजार 358 एकड़ 60 डिसमिल 133 वर्ग कड़ी जमीन है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज, बनारस, इलाहाबाद, कुशीनगर और मिर्जापुर में बेतिया राज की जमीनें हैं। इन जमीनों पर बड़े स्तर पर भू-माफियाओं और अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। अब बिल पास होने पर ऐसे लोगों से जमीन मुक्ति कराने में राज्य सरकार सफल होगी।
मंत्री दिलीप जयसवाल ने कहा कि वर्तमान में इस संपत्ति का प्रबंधन बिहार सरकार के राजस्व बोर्ड के ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ द्वारा किया जाता है। यह अंग्रेजों के समय से हो रहा है। बेतिया राज की अंतिम रानी को कोई संतान नहीं थी जिसके बाद अंग्रेजों ने उनकी जमीनों को ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के तहत लाया। लेकिन बाद में वर्षों में बड़े स्तर पर कई लोगों ने जमीनों पर बड़े स्तर पर भू माफियाओं और अतिक्रमणकारियों की मदद से कब्जा कर लिया। ऐसी जमीनों को अब बिहार सरकार मुक्त कराने के लिए यह बिल लाया जा रहा है।
मंत्री
जयसवाल ने कहा कि इस बिल के पास होने के बाद जिन लोगों ने भी बेतिया राज की जमीनों पर अपने कब्जे को लेकर कोर्ट में केस दायर कर रखा है, वे मामले भी स्वतः खत्म हो जाएंगे। बेतिया राज की जमीनों को लेकर कोई भी मामला अब कोर्ट में नहीं जा पायेगा। भू माफियाओं और अतिक्रमणकारियों से जमीनों को मुक्त कराकर उस पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ-साथ कई और बिल्डिंग बनाई जाएगी।
बेतिया राज की जमीनों पर जो रिहायसी बसावट वाले क्षेत्र हैं उनके लिए राहत भरा ऐलान करते हुए जायसवाल ने कहा कि उन्हें अपने दावे को पेश करने के लिए समाहर्ता अधिकारी की सुनवाई में जाना होगा। यह दो महीने के भीतर हो जायेगा। पूरी प्रक्रिया को राजस्व पर्षद द्वारा निपटाया जायेगा। राजस्व पर्षद के प्रमुख केके पाठक भी मामलों को देखेंगे।
उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष 13 दिसम्बर को राजस्व बोर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी चंपारण जिले में ‘बेतिया एस्टेट’ की कुल भूमि में से 6,605 एकड़ (लगभग 66 प्रतिशत) पर अतिक्रमण किया गया है। दूसरी ओर, पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ या लगभग 60 प्रतिशत भूमि पर अतिक्रमण हुआ है।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी