रांची, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को से बड़ी राहत मिली है। विश्वविद्यालय द्वारा अत्यधिक वेतन भुगतान की राशि की वसूली के आदेश पर एक बार फिर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
पूर्व में इससे संबंधित मनोज कुमार एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकल पीठ ने याचिका निष्पादित करते हुए याचिकाकर्ताओं को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के द्वारा अत्यधिक वेतन भुगतान से संबंधित निकाले गए पत्र के आलोक में अपना अभ्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) देने का निर्देश दिया था, जिसके आलोक में याचिकाकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के समक्ष 22 अगस्त 2024 को अपना अभ्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) दिया था। लेकिन विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं देते हुए उनके अभ्यावेदन को 10 सितंबर 2024 को खारिज कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से पुनः फ्रेश याचिका दाखिल की गई है, जिस पर गुरुवार काे हाई कोर्ट की एकल पीठ में सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई दाे दिसंबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पैरवी की। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के वेतन भुगतान को अत्यधिक बढ़कर भुगतान राशि की वसूली को लेकर पत्र निकाला था, जिसे लेकर मनोज कुमार सहित 37 अन्य विश्वविद्यालय कर्मियों ने हाई कोर्ट में पूर्व में याचिका दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया था कि वह विश्वविद्यालय के द्वारा अत्यधिक वेतन भुगतान से संबंधित निकाले गए पत्र के आलोक में अपना रिप्रेजेंटेशन विश्वविद्यालय को फिर से दें और विश्वविद्यालय उसपर पुनर्विचार करें। तब तक अत्यधिक वेतन वसूली से संबंधी विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक रहेगी। कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी थी।
झारखंड सरकार के वित्त विभाग के अधिसूचना 18 जनवरी 2017 के तहत राज्य के सभी कर्मियों के एक जनवरी 2016 से केंद्रीय सप्तम वेतनमान की सिफारिश के आलोक में लाभ देने का निर्णय लिया गया था। इसके आलोक में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने 25 जनवरी 2023 को अधिसूचना जारी की, जिसके तहत सप्तम वेतनमान का लाभ कर्मियों को एक जनवरी 2016 से दिए जाने का निर्णय लिया एवं विश्वविद्यालय के द्वारा सभी बकाया वेतन कर्मियों एवं शिक्षकों को प्रदान किया गया। लेकिन 25 जून 2024 को अचानक विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के वेतन से करीब 11-12 लाख रुपये की वसूली के लिए पत्र निर्गत किया एवं इस वर्ष जुलाई माह में कर्मियों के वेतन से करीब 22 हजार रुपये की वसूली भी कर ली थी।
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(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना