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ट्रिपल तलाक पर बड़ा फैसला- आरोप ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य पर होगा तय

Allaabad High Court

– धारा 482 में हाई कोर्ट को तथ्य की जांच का अधिकार नहीं, ट्रिपल तलाक केस रद्द करने से इनकार

प्रयागराज, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि तलाक ट्रिपल तलाक है या नहीं, तथ्य का विषय, ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य लेकर तय होगा। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल कर दाखिल चार्जशीट या केस कार्यवाही रद्द नहीं की जा सकती। कोर्ट ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून की धारा 3/4 के तहत जारी सम्मन रद्द करने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 494 एक बीबी के रहते दूसरी शादी करने पर दंड के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 198 अदालत को संज्ञान लेने से रोकती है। इसलिए इस धारा में जारी समन अवैध होने के नाते रद्द किया जाता है। याची के खिलाफ केवल ट्रिपल तलाक के आरोप पर ही ट्रायल चलेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने थाना खोराबार, गोरखपुर के जान मोहम्मद की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ ट्रिपल तलाक का केस नहीं बनता। क्योंकि उसने एक माह के अंतराल पर तलाक की तीन नोटिस देने के बाद तलाक दिया है, जो तलाक-ए-बिद्दत नहीं है और 494 के अपराध पर कोर्ट को संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। धारा 198 से वर्जित है, यदि पीड़िता ने शिकायत न की हो। पीड़िता ने दूसरी शादी की शिकायत नहीं की है। इसलिए याची के खिलाफ दायर चार्जशीट समन और केस कार्यवाही रद्द की जाय।

सरकारी वकील का कहना था कि याची के बेटे सलमान खान ने भी तीन तलाक़ दिये जाने का बयान दिया है और शिकायतकर्ता के तीन तलाक़ देने के आरोप पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और अदालत ने उस पर संज्ञान भी लिया है। यह नहीं कह सकते कि प्रथमदृष्टया याची पर अपराध नहीं बनता। इसलिए याचिका खारिज की जाय।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के भजन लाल केस सहित तमाम केसों का हवाला देते हुए कहा कि यदि प्रथमदृष्टया अपराध का खुलासा होता है तो हाई कोर्ट चार्जशीट, एफआईआर रद्द नहीं कर सकती। उसे केस के तथ्यो की जांच करने का अधिकार नहीं है। केवल असामान्य स्थिति में ही केस कार्यवाही रद्द की जा सकती है, जहां प्रथमदृष्टया अपराध का खुलासा नहीं हो रहा हो। कोर्ट ने धारा 494 की कार्यवाही रद्द कर दी है किन्तु कहा है कि धारा 3/4 डब्ल्यू एम एक्ट के तहत केस चलेगा।

(Udaipur Kiran) /आर एन

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / पवन कुमार श्रीवास्तव

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