
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मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 23वीं ग्लोबल कैस्टर कॉन्फ्रेंस 2025 का उद्घाटन किया
गांधीनगर, 15 फरवरी (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शनिवार को गांधीनगर में उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत की उपस्थिति में 23वीं ग्लोबल कैस्टर कॉन्फ्रेंस 2025 का उद्घाटन किया। ‘कैस्टर: पावरिंग सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर ग्रीनर फ्यूचर’ थीम के साथ सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए-सी) द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में 15 से अधिक देशों के 400 से अधिक प्रतिनिधि सहभाग कर रहे हैं।
पटेल ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में कहा कि अरंडी जैसी परंपरागत कृषि फसलों एवं उत्पादों का मूल्यवर्धन करने के साथ समयानुरूप नूतन आयाम अपनाए गए हैं। आज वर्ल्ड कैस्टर मार्केट में भी गुजरात बड़ा योगदान देने वाला स्टेट है। वर्ष 2003 में गुजरात में केवल 2900 हेक्टेयर क्षेत्र में अरंडी की बुवाई हुई थी, परंतु वर्ष 2024 में यह बुवाई लगभग 7200 से अधिक हेक्टेयर में होने लगी है। उन्होंने कहा कि फार्मास्युटिकल, कॉस्मेटिक्स, लुब्रिकेंट्स एवं बायोडीजल जैसे अनेक क्षेत्रों में अरंडी का उपयोग व्यापक रूप से बढ़ा है, जिससे उसकी मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और उसके मूल्यवर्धन की आवश्यकता उत्पन्न हुई है। विश्वभर के बाजारों में गुजरात के अरंडी के तेल की विश्वसनीयता एवं गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अरंडी के उत्पादन तथा निर्यात के साथ नई टेक्नोलॉजी एवं अनुसंधान से उत्पादन क्षमता बढ़ाने को प्राथमिकता दी है। उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस को केवल उद्योग या कृषि के लिए ही नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया, ग्रो इन गुजरात’ के प्रधानमंत्री के विजन के लिए भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कॉन्फ्रेंस ग्लोबल अरंडी हब के रूप में गुजरात की पहचान सुदृढ़ करने की दिशा में सामूहिक मंथन करने में विशेष भूमिका निभाएगी। उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस को अरंडी उद्योग से जुड़े किसानों तथा उद्योगों के व्यापक हित में इस क्षेत्र के अधिक बेहतर ढंग से विकास के लिए उचित प्लेटफॉर्म बताया।
कॉन्फ्रेंस में उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कहा कि 21वीं शताब्दी में जब दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है, तब विशेषकर गुजरात में 85 प्रतिशत से अधिक कैस्टर उत्पादन में और प्रगति हो, इसके लिए इस कॉन्फ्रेंस में लगातार विचार-विमर्श किया जाएगा। इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस में विचार-विमर्श के माध्यम से निश्चित रूप से अच्छा परिणाम मिलता ही है।
एसईए के चेयरमैन शेलैष बालधा ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में इंडस्ट्रीज के प्रत्येक स्टेक होल्डर की डिमांड-सप्लाई चेन तथा उसे प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर मार्गदर्शन दिया जाएगा। डिमांड-सप्लाई चेन के संतुलन के फलस्वरूप पिछले दो वर्षों में कैस्टर ऑयल के दाम स्थाई रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में स्टेक होल्डर, रिसर्च संस्थान, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी सहित सरकार के अथक प्रयासों से कैस्टर इंडस्ट्रीज का भविष्य और उज्ज्वल बनेगा।
एसईए के वाइस प्रेसिडेंट आंगशू मलिक ने स्वागत संबोधन में कहा कि भारत विश्व की मांग का लगभग 90 प्रतिशत कैस्टर सीड उत्पादन तथा लगभग 15 हजार करोड़ रुपये के कैस्टर ऑयल का निर्यात करता है। इस प्रकार गुजरात कैस्टर सीड का मुख्य उत्पादक राज्य बना है। आज इस कॉन्फ्रेंस में कैस्टर सीड की खेती तथा निर्यात से जुड़े किसानों एवं उद्योगों को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
कॉन्फ्रेंस में अच्छी कृषि पद्धतियों के जरिए अरंडी बीज में लगातार उच्च उत्पादकता के लिए 4 किसानों को ‘श्री विट्ठलभाई जी. उदेशी’ कैस्टर इनोवेशन अवॉर्ड तथा वर्ष 2024 के लिए सर्वाधिक कैस्टर ऑयल निर्यात, सर्वाधिक कैस्टर डेरिवेटिव्स निर्यात एवं भारत से सर्वाधिक कैस्टर ऑयल आयात करने वाले अन्य देशों के उद्यमियों को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के हाथों पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर एसईए के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर डॉ. बी. वी. मेहता, को-चेयरमैन धर्मेन्द्र सिंह राजपूत तथा अरंडी उद्योग से जुड़े अन्य अग्रणी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय
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