-केंद्र सरकार की सूरत और आसपास के नवसारी, भरूच, डांग, तापी और वलसाड जिलों को ‘ग्रोथ हब’ के रूप में विकसित करने की विशिष्ट योजना
सूरत, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को सूरत शहर में सूरत और उसके आसपास के नवसारी, भरूच, डांग, तापी और वलसाड सहित 6 जिलों को मिलाकर बनाए गए ‘सूरत इकोनॉमिक रीजन’ के महत्वाकांक्षी ‘इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान’ को लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस अवसर पर कहा कि भविष्य के विकास का यह मास्टर प्लान केवल एक डॉक्यूमेंट नहीं है, बल्कि यह राज्य के छह जिलों के आर्थिक परिदृश्य में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला कमिटमेंट है। इसमें विकास की नींव माने जाने वाले सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, रीयल एस्टेट, टूरिज्म, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और लॉजिस्टिक्स आदि क्षेत्रों के विकास की संभावनाएं भी उजागर हुई हैं। सूरत के डुमस रोड में स्थित ले मेरिडियन होटल में आयोजित समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के उद्योगपति, शिक्षाविद, चार्टर्ड अकाउंटेंट, जीआईडीसी के अध्यक्ष, हीरा-टेक्सटाइल, डाइंग एंड प्रिंटिंग, जेम्स एंड ज्वैलरी, हेल्थ, होटल एसोसिएशन, सहकारी क्षेत्र, चीनी मिल, एपीएमसी, फूड प्रोसेसिंग, अक्वा फार्मिंग, क्रेडाई और सोलर एनर्जी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री सहित महानुभावों ने इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान का अनावरण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की मंशा सूरत परिक्षेत्र का द्रुत और सस्टेनेबल (टिकाऊ) विकास करना है, जिसे पूरा करने के लिए गुजरात तैयार है। ऐसे में, यह पहल गुजरात के विकास मॉडल को एक नई ऊर्जा और प्रोत्साहन देगा। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ‘विकसित भारत@2047’ के अंतर्गत सरकार ने गुजरात को 2047 तक 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और 34 लाख नए रोजगार के अवसरों का सृजन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गुजरात देश का ग्रोथ इंजन बना है, जबकि गुजरात का ग्रोथ इंजन सूरत है। सूरत ने राज्य की आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के 36 फीसदी योगदान के सापेक्ष सूरत की जीडीपी में वहां के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान 55 फीसदी है, इस उपलब्धि की बुनियाद टेक्सटाइल, जेम्स ज्वैलरी, डायमंड और केमिकल एंड डाइंग जैसे परंपरागत उद्योग हैं।
वापी से तापी के बेल्ट तक ही सीमित था विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के बाद दशकों तक गुजरात के विकास की गतिविधियां वापी से तापी के बेल्ट तक ही सीमित रही थीं। उस समय समुद्र, रण और पहाड़ी क्षेत्र वाले गुजरात में विकास की कोई संभावना नहीं थी। बिजली, पानी, सड़क जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कोई दिशा नहीं थी, लेकिन पिछले दो दशक में गुजरात ने विकास की रफ्तार पकड़ी है। 2001 से ढाई दशक के विकास का आंकलन करें, तो गुजरात ने इस बात का प्रमाण दिया है कि विकास कैसा होना चाहिए, किस स्केल और कितनी गति का होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि आर्थिक विकास की यह योजना सूरत और आसपास के अन्य पांच जिलों के विकास का रोडमैप बनाएगी। राज्य सरकार आने वाले 25 वर्ष के विकास को केंद्र में रखते हुए डेवलपमेंट एक्शन प्लान के साथ योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है। राज्य के विकास विजन को और भी तेज गति से साकार करने के लिए नीति आयोग की तर्ज पर गुजरात राज्य इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (ग्रिट) का भी गठन किया गया है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने सूरत रीजन के सर्वांगीण विकास में सूरत शहर के अमूल्य योगदान की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए भारत सरकार द्वारा सूरत पर व्यक्त किए गए विश्वास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया। नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान के बारे में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि सूरत और आसपास के पांच जिलों में आर्थिक विकास की विशिष्ट संभावनाएं मौजूद हैं। सूरत आर्थिक क्षेत्र के पास संतुलित विकास की पूर्ण क्षमता और योग्यता है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान बनाने के लिए नीति आयोग द्वारा गुजरात सरकार और सूरत के स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कई दिन नहीं, बल्कि लगातार एक वर्ष की मेहनत और मंथन किया गया है।
राज्य के मुख्य सचिव राज कुमार ने कहा कि इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान के कार्यान्वयन के बाद सूरत रीजन की विकास दर राज्य की समग्र विकास दर से भी बढ़ जाएगा। सूरत को ग्रोथ हब के रूप में विकसित करने के लिए आगामी 50 वर्ष के विजन के साथ इस इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्लान में आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक, शैक्षणिक और रोड कनेक्टिविटी जैसे विभिन्न विकास-उन्मुख मापदंडों को आधार बनाया गया है।
कार्यक्रम में वित्त और ऊर्जा मंत्री कनुभाई देसाई, उद्योग, कुटीर उद्योग और श्रम एवं रोजगार मंत्री बलवंत सिंह राजपूत, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल, गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुलभाई पानशेरिया, सांसद मुकेशभाई दलाल, प्रभुभाई वसावा, मनसुखभाई वसावा, राज्यसभा सांसद गोविंदभाई धोळकिया, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया, जिला पंचायत अध्यक्ष भाविनी पटेल, महापौर दक्षेश मावाणी, जिला कलेक्टर डॉ. सौरभ पारधी, जिला विकास अधिकारी शिवानी गोयल समेत सूरत रीजन के अन्य पांच जिलों के कलेक्टर, जिला विकास अधिकारी, उद्योग एवं सहकारिता क्षेत्र के अग्रणी, कई पदाधिकारी, अधिकारी तथा नीति आयोग के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय