
भोपाल, 13 फरवरी (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ पत्रकार विजय मनोहर तिवारी ने गुरुवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में कुलगुरु के रुप में नई जिम्मेदारी संभाली। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर माखनपुरम परिसर के उद्यान में उन्होंने रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया। इसके पश्चात नवनियुक्त कुलगुरु तिवारी ने विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण किया।
इस अवसर पर एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी एवं दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्रा विशेष रुप से उपस्थित थे।
भ्रमण के पश्चात् द्रोणाचार्य सभाकक्ष में विभाग प्रमुखों की पहली मीटिंग में उन्होंने ओशो के एक पत्र की पंक्ति दोहराते हुए कहा कि मेरी दृष्टि में प्रयास ही प्राप्ति है और अडिग चरण ही मंजिल है। 1951 में सागर से 20 साल के रजनीश ने यह पत्र अपने एक सहपाठी को लिखा था। उन्होंने कहा कि नई ऊंचाइयों की बात करने से ज्यादा जरूरी है कि हमारी ज़मीन ठोस हो. नींव मजबूत हो। आधार मजबूत होगा तो इमारत ऊँची ही नहीं टिकाऊ भी बनेगी। नई ऊँचाइयाँ किसी ने नहीं देखी होतीं। हमें व्यावहारिक धरातल पर विचार करना चाहिए। विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए उन्होंने सबको मिलकर कार्य करने की बात कही।
उल्लेखनीय है कि नवनियुक्त कुलगुरु तिवारी विश्वविद्यालय के ही बैचलर ऑफ जर्नलिज्म (बी.जे.) में दूसरे बैच 1992-93 के टॉपर विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में ही लगभग ढाई दशक से ज्यादा तक रिपोर्टिंग से लेकर विभिन्न पदों पर कार्य किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री तिवारी ने पत्रकारिता के साथ 12 पुस्तकों का भी लेखन किया है। उनकी चर्चित पुस्तकों में हरसूद 30 जून, प्रिय पाकिस्तान, एक साध्वी की सत्ता कथा, भारत की खोज में मेरे पांच साल, आधी रात का सच, उफ़ ये मौलाना, जागता हुआ कारवा, हिन्दुओं का हश्र, स्याह रातों के चमकीले ख्वाब एवं राहुल बारपुते हैं। श्री तिवारी को उनकी लेखनी के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
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