
भोपाल, 23 अप्रैल (Udaipur Kiran) । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत में परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल, सौरभ शर्मा की ओर से एडवोकेट दीपेश जोशी और सौरभ के सहयोगी शरद जायसवाल की ओर से अधिवक्ता रजनीश बरैया ने सोमवार को ईडी की विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। बुधवार को विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की अदालत में इस जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सौरभ शर्मा की मां और ईडी की टीम अदालत में मौजूद रही। ईडी के वकील विक्रम सिंह ने सौरभ और शरद के कृत्य को गंभीर बताते हुए उनकी जमानत का विरोध किया। वहीं, सौरभ के वकील दीपेश जोशी ने ईडी की कार्रवाई को काल्पनिक बताते हुए सभी आरोपों को गलत बताया और जमानत दिए जाने की मांग की।
सौरभ शर्मा की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट दीपेश जोशी ने बताया कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ ईडी के पास कोई सबूत नहीं है। दुबई का वीजा लेने के लिए उन्होंने दुबई की एक नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी के ब्रोशर का इस्तेमाल किया था। इसी ब्रोशर के आधार पर सौरभ को 150 करोड़ रुपये के विला का मालिक बताया गया। हालांकि, विला कहां है और कौन-सा है, इस बारे में ईडी के पास कोई प्रमाण नहीं है। सोने और नकदी से भरी जिस कार को सौरभ की बताया जा रहा है, वह उनके नाम पर पंजीकृत ही नहीं है। मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर मेरे मुवक्किल को जेल में रखा गया है, जबकि हमें लोकायुक्त से जमानत मिल चुकी है।
गौरतलब है कि गत 9 अप्रैल को इसी कोर्ट से सौरभ की मां उमा शर्मा, पत्नी दिव्या शर्मा, जीजा विनय आसवानी और जबलपुर निवासी साले रोहित तिवारी को जमानत मिल गई थी। विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की अदालत से सभी को 10-10 लाख रुपये के बॉन्ड पर जमानत दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भोपाल ने आरटीओ के करोड़पति पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा उसके सहयोगियों शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौर के खिलाफ गत आठ अप्रैल को कोर्ट में चालान पेश किया था। इसमें इनोवा कार में मिला 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद सौरभ का ही बताया गया है।
(Udaipur Kiran) तोमर
