Madhya Pradesh

भोपालः जनजातीय संग्रहालय के मंच पर भक्त-भगवंत लीला से फैला बृज प्रेम का प्रकाश

भोपालः जनजातीय संग्रहालय के मंच पर भक्त-भगवंत लीला से फैला बृज प्रेम का प्रकाश
भोपालः जनजातीय संग्रहालय के मंच पर भक्त-भगवंत लीला से फैला बृज प्रेम का प्रकाश

– तीन दिवसीय समारोह में गायन, श्रीकृष्ण लीला और प्रसंगों का किया गया मंचन

भोपाल, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्‍यप्रदेश शासन, संस्‍कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के पवित्र अवसर पर भोपाल सहित मध्‍यप्रदेश के 16 आध्यात्मिक स्थलों पर पर श्रीकृष्‍ण पर्व को विभिन्न कला विधाओं की प्रस्तुतियों के साथ समारोहित किया जा रहा है। जनजातीय संग्रहालय में आयोजित तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन रविवार की शाम दो प्रस्तुतियां हुईं। भोपाल के शुभम् यादव एवं साथी कलाकारों ने लोकगायन पेश किया तो मथुरा की वंदना श्री एवं साथी कलाकारों ने भक्त-भगवंत लीला के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को मंच पर जीवंत कर दिया।

शुभम ने श्री गणेश एवं मां शारदा की वंदना करते हुए शारदा भवानी मां निहारियो, दया की नजर डारियो… से प्रस्तुति का आगाज किया। शाम की सुमधुर बेला को बुंदेली श्री कृष्‍ण जन्‍म भजन से सजाते हुए उन्होंने जन्मे हैं जेल में कृष्ण मुरार… गीत पेश किया। चलो सखी गोकुल में भयो नंदलाला… गीत से जनजातीय सभागार के माहौल को भक्ती रस से सराबोर कर दिया। कृष्ण जन्म पर बधाई गीत लल्ला की सुन के मैं आई, यशोदा मैया दे दो बधाई… गीत से सुधीजनों को भक्ति रस में भिगोते हुए संगीत के सुरीले और भक्तिमय सफर पर ले गए।

बारिश की आगोश में लिपटी खूबसूरत शाम में शुभम ने जब पारंपरिक वाद्ययंत्रों की संगत में पकड़ लए राधा ने दधी माखन के चोर… गीत सुनाया तो श्रोता कर्णप्रिय लोकधुनों में खो से गए। अदालत ने जै हैं मुरारी… और प्यारे यशोदा को लाल, कान्हा मेरे मन भायो… गीत सुनाते हुए श्रोताओं को भारत की महान सांस्कृतिक लोक परम्परा से रू-ब-रू कराया। शुभम के साथ हरीश विश्वकर्मा, संजय यादव और महेन्द्र सिंह चौहान ने सह गायक तथा राजेश मालवीय ने झेका वादन में संगत दी।

विगत दो दिवस से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का रसास्वादन कर रहे दर्शकों ने पर्व की अंतिम सभा में भक्त-भगवंत लीला के प्रेम का स्वाद भी चखा। इस प्रस्तुति ने भक्त के भगवान और भगवान के भक्तों के प्रति प्रेम का मानो साक्षात प्रदर्शन किया गया। भक्ति विरासत का दर्पण दिखाती इस प्रस्तुति में भगवान श्रीकृष्ण पर अपने भक्तों पर हुई कृपा का मनोहारी दृश्यांकन किया गया। लीला की शुरुआत बॉंके बिहारी की मनोहारी झॉंकी की आरती, बॉंके बिहारी तेरी आरती गाऊं… से हुई। इसके पश्चात प्रस्तुति की शुरुआत मीरा बाई की कहानी से होती है। मीरा बाई इस कलयुग में प्रभु की भक्ति और उनके मिलन का साक्षात प्रमाण हैं। छोटी सी उम्र में मीरा लड्डू गोपाल की मूरत को दूध पिलाने का प्रयास करती हैं। उनकी प्रेममय भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु साक्षात कटोरे से दूध पी जाते हैं।

अगले दृश्य में दिखाया गया कि मीरा अपना घर-महल छोड़कर वृन्दावन आ जाती हैं। अगने दृश्य में दिखाया गया कि जनाबाई भगवान विठ्ठल की सेवा करती हैं, उनकी सेवा से प्रसन्न होकर भगवान उनके साथ घर के कार्य करते हैं और प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। जनाबाई की प्रभु से प्रेम की कहानी के पश्चात दिखाया गया कि भगवान श्रीकृष्ण सॉंवलिया सेठ बनकर किस तरह नरसी का 56 करोड़ का भात भरते हैं।

(Udaipur Kiran) तोमर

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