Madhya Pradesh

भोपालः ओंकार पीठ का 18वां दीक्षांत समारोह संपन्न, 30 विद्यार्थियों को मिली ‘ज्योतिष श्री’ की उपाधि

ओंकार पीठ का 18वां दीक्षांत समारोह

भोपाल, 23 मार्च (Udaipur Kiran) । सिद्धि ज्योतिष केंद्र -ओंकार पीठ का 18वां दीक्षांत समारोह आयोग्य भारती के केंद्रीय कार्यालय भोपाल में रविवार को संपन्न हुआ। स्वामी रामप्रवेश महाराज के मुख्य आतिथ्य में हुए इस समारोह में इस वर्ष 30 प्रशिक्षणार्थियों को ‘ज्योतिष श्री’ की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर आचार्य रमेश त्रिपाठी (संस्कृत विद्यालय, गुफा मंदिर, भोपाल), आशीष पांड्या (उज्जैन), पं. रमेश शर्मा (कथावाचक) और ज्योतिषाचार्य राजेश दुबे विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

समारोह की शुरुआत मां सरस्वती और श्री गणेश के पूजन एवं माल्यार्पण से हुई। इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह, श्रीफल और पादप भेंट कर किया गया। इस अवसर पर बताया कि संस्थान के संस्थापक स्वर्गीय प्रहलाद पांड्या द्वारा 1995 में शुरू की गई इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, डॉ. राजेश मिश्रा ने अब तक हजारों छात्रों को ज्योतिष का निःशुल्क ज्ञान दिया है।

ज्योतिष भगवान के नेत्रों के समानः स्वामी रामप्रवेश

स्वामी रामप्रवेश महाराज ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ज्योतिष केवल भाग्य नहीं, बल्कि सही मार्गदर्शन का विज्ञान है। सनातन परंपरा में यह जन्म-जन्मांतर के कर्मफल से जुड़ा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार शिवपुरी के पास ज्योतिषीय गणनाओं को नजरअंदाज करने से दुर्घटना होते-होते बची। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्योतिष का उद्देश्य केवल धन कमाना नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा करना होना चाहिए।

समारोह में प्रक्षिणार्थी सुषमा दुरापे ने बताया कि यहां पंचांग, ग्रह-भाव, दशा-महादशा और रत्न विज्ञान की गहन शिक्षा दी जाती है। शाम्भवी दुबे ने कहा कि पंचम भाव से करियर और शिक्षा का आकलन किया जाता है, और यहां दी जाने वाली शिक्षा पूरी तरह निःशुल्क है। अनमोल बिहारिया ने कहा कि गुरु सूर्य के समान होते हैं, और शिष्य सूर्यांश की तरह ज्ञान प्राप्त करते हैं।

आचार्य रमेश त्रिपाठी ने कहा कि “ज्योतिष वेदों का नेत्र और कई विज्ञानों का जनक है।” उन्होंने बताया कि ज्योतिष का प्रचार-प्रसार अब न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रहा है। पं. रमेश शर्मा ने भारतीय ज्ञान-विज्ञान के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “पहले आक्रांताओं ने हमारे पुस्तकालय जलाए, फिर उन्होंने हमारे ज्ञान को चुराकर अपने नाम से प्रचारित किया। अब समय आ गया है कि हम अपने प्राचीन ज्ञान को फिर से स्थापित करें।”

समारोह की अध्यक्षता कर रहे राजेश दुबे ने बताया कि ज्योतिष केवल भविष्यवाणी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, भूकंप, नदियों और बारिश तक की गणना कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में ज्योतिषी फल-फूल की दक्षिणा लेकर समाज सेवा करते थे, और आज भी सच्चे ज्योतिषी इसी परंपरा का पालन करते हैं। समारोह का संचालन डॉ. बृजेश रिछारिया ने किया, जबकि डॉ. अभय मिश्रा ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने घोषणा की कि 30 मार्च से नया बैच शुरू होगा, जिसमें इच्छुक छात्र निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

(Udaipur Kiran) तोमर

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