Uttrakhand

महामंडलेश्वर पायलट बाबा को दी गई भू-समाधि

समाधि देते हुए

हरिद्वार, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा को उनकी अंतिम इच्छा अनुसार हरिद्वार के पायलट बाबा आश्रम में भू-समाधि दे दी गई। महायोगी पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए संतों व भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।

विश्व के 100 से अधिक देशों के भक्त उन्हें महासमाधि देने के लिए पहुंचे। सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारी, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, विभिन्न दलों के नेता, देश के बड़े उद्योगपति, कारोबारी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के संरक्षण में महायोगी पायलट बाबा को अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर महासमाधि दी गई। उनकी हमेशा सेवा में लगी रहने वाली उनकी शिष्या महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरी महाराज व साध्वी श्रद्धा गिरी महाराज ने उन्हें समाधि दी। उसके बाद शंभू रोट, धूल रोट व तिये का कार्यक्रम हुआ।

श्री महंत हरी गिरी महाराज ने पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा सिद्ध संत थे। समाज, देश व धर्म की सेवा के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे। संन्यासी बनने से पूर्व पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए 1962, 1965 व 1971 के युद्ध में भाग लिया था और अपने पराक्रम से दुश्मनों को मार भगाया था। उनकी संन्यास यात्रा 1974 से प्रारंभ हुई। विधिवत दीक्षा लेकर वे जूना अखाड़े में शामिल हुए और जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति, प्रगति, विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर विभूषित किया गया। उन्होंने परे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार किया।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि पहले भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर व उसके बाद एक सच्चे व सिद्धसंत के रूप में महायोगी पायलट बाबा ने समाज एवं देश व सनातन धर्म की सेवा की मिसाल कायम की।

श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर अर्जुन पुरी, आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी, श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि, सचिव सह देवानंद गिरी, बलबीर गिरी, थानापति धर्मेंद्र गिरी, स्वामी प्रेमानंद गिरी, महामंडलेश्वर सरोजानंद गिरी, महाकाल गिरी, आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद, ब्रहमस्स्वरूप ब्रहमचारी, मंहत प्रचार गिरी, स्वामी कपिल पुरी, महंत महाबलवीर गिरि लेटे हनुमान प्रयागराज, योगमाता केको आईकावा कैला देवी जापान समेत 13 अखाड़ों के महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर समेत लाखों साधु-संतों व भक्तों शामिल रहे।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह

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