बिलासपुर, 3 जनवरी (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शुक्रवार काे भिलाई से कांग्रेस पार्टी के विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका पर सुरक्षित किए फैसले को सार्वजनिक किया है।जिसमें बलौदाबाजार हिंसा के मामले में जेल होने के बाद विविध अपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है। न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बैंच ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की जिरह को गंभीरता से सुना, इसके बाद इस पूरे मामले में 2 जनवरी 2025 को फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि केस डायरी के साथ संलग्न वीडियो में दर्शाया गया है। इस प्रकार, आवेदक की संबंधित अपराध में भागीदारी के बारे में प्रथम दृष्टया निष्कर्ष दर्ज करने के लिए पर्याप्त सामग्री है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रमेश भवन राठौड़ (सुप्रा) के मामले में निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए तथा अपराध की गंभीरता और अपराध के तरीके को देखते हुए, आवेदक को जमानत पर रिहा करने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है। वहीं वर्तमान जमानत आवेदन को आधारहीन मानते हुए खारिज किया है।
दरअसल देवेंद्र यादव की जमानत याचिका पर पूर्व सुनवाई में इस पूरे मामले में 9 दिसंबर 2024 को जस्टिस व्यास की बैंच ने केस डायरी मंगाई गई थी। इसके साथ ही राज्य के अधिवक्ता को निर्देश दिया था कि वे हलफनामा दाखिल करें कि घटना के कारण आम जनता को कितना नुकसान हुआ है..? कोर्ट में राज्य शासन ने 12 दिसंबर 2024 की सुनवाई में हलफनामे में जवाब और केस डायरी पेश की। जिसमें कहा गया कि वर्तमान मामला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा और आग की घटना से संबंधित है और छत्तीसगढ़ राज्य में इस तरह की बड़े पैमाने पर हिंसा की घटना दुर्लभ है, जिसमें सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ है, जिसकी अनुमानित राशि 10,21,00,000 रुपये है। बलौदाबाजार जिले में अलग-अलग स्थानों पर एक ही भीड़ द्वारा की गई घटना के लिए सभी 13 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के भिलाई विधायक देवेंद्र यादव बीते 4 महीनों से ज्यादा समय से बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद हैं। यह हिंसा 10 जून को बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट परिसर में हुई थी, जिसमें आगजनी और तोड़फोड़ के आरोप लगाए गए थे। विधायक यादव को 17 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उनकी जमानत को लेकर बलौदा बाजार सत्र न्यायालय में भी सुनवाई हुई थी। जो खारिज हो गई थी। जिसके बाद हाइकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। 12 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था जिसे 2 जनवरी को सुनाया गया है।
(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi