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बंगाल पुलिस ने हाई कोर्ट में पेश की साइबर पुलिस थानों की व्यवस्था पर रिपोर्ट

Court

कोलकाता, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल पुलिस ने राज्य के विभिन्न साइबर पुलिस थानों की मौजूदा व्यवस्थाओं पर गुरुवार को कोलकाता हाई कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह रिपोर्ट जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस गौरांग कंठ की डिवीजन बेंच के समक्ष पेश की गई।

रिपोर्ट में राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने साइबर पुलिस थानों में तैनात अधिकारियों को दी जाने वाली प्रशिक्षण प्रक्रिया और वहां उपलब्ध बुनियादी ढांचे का विवरण दिया।

यह रिपोर्ट 28 नवंबर को हाई कोर्ट के निर्देश पर एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की गई। मामला नदिया जिले के मुरुतिया पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था, जहां सोशल मीडिया पर एक महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड की गई थीं।

गुरुवार को कोर्ट ने राज्य पुलिस को अन्य साइबर पुलिस थानों में दर्ज समान मामलों की प्रगति पर एक और रिपोर्ट अगले सप्ताह तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

28 नवंबर को हाई कोर्ट ने साइबर पुलिस थानों में तैनात अधिकारियों की अपर्याप्त प्रशिक्षण व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने पाया कि मुरुतिया थाने में दर्ज मामले में जांच अधिकारियों ने विभिन्न धाराएं लगाईं, लेकिन किसी भी साइबर अपराध कानून से संबंधित धारा को शामिल नहीं किया गया।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि इस कमी के कारण आरोपित को आसानी से जमानत मिल गई। इस पर डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि साइबर पुलिस थानों का संचालन अन्य सामान्य थानों की तरह किया जाएगा, तो उनके विशेष अस्तित्व का कोई औचित्य नहीं रहेगा।

कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया कि साइबर अपराध से संबंधित धाराओं की अनुपस्थिति के कारण आरोपित को जमानत मिल गई। कोर्ट ने पूछा कि ऐसी स्थिति में जवाबदेही किसकी होगी।

डिवीजन बेंच ने कहा कि साइबर अपराध मामलों की प्रभावी जांच के लिए उचित प्रशिक्षण और सही प्रक्रियाओं का पालन जरूरी है। इससे सुनिश्चित होगा कि पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों को सजा।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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