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बंगाल‌ सरकार ने जूनियर डॉक्टरों से की अनशन खत्म करने की अपील

कोलकाता, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने जूनियर डॉक्टरों से अपना अनशन खत्म करने की अपील की है। उन्होंने डॉक्टरों के संयुक्त मंच की ओर से भेजे गए ईमेल के जवाब में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य स्थिति में लाने के लिए यह अनुरोध किया है।

इसी बीच, शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें राज्य के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के सुधार की प्रगति का ब्योरा दिया गया। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने दावा किया कि सरकार ने यह कदम उनके दबाव में उठाया है।

प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्य में कुल 7051 सीसीटीवी कैमरे, 893 नए ड्यूटी रूम और 778 वॉशरूम का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, बेहतर रोशनी, अलार्म सिस्टम और बायोमेट्रिक एक्सेस नियंत्रण की भी व्यवस्था की जा रही है। इन सभी सुविधाओं के लिए राज्य सरकार ने 113 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया है।

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि आरजी कर अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 15 अक्टूबर तक सभी कार्य पूरे होने की उम्मीद है। विभाग ने यह भी बताया कि आरजी कर में कार्य के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त होने के दो दिन बाद ही काम शुरू किया गया है। महिला सुरक्षा के लिए 1113 महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की भी घोषणा की गई है।

आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद राज्यभर में जूनियर डॉक्टर आंदोलनरत हैं। उन्होंने सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था में खामियों को उजागर करते हुए कार्य बहिष्कार कर रखा है। बुधवार को मुख्य सचिव के साथ चिकित्सकाें की हुई बैठक के बाद भी समाधान नहीं निकल पाया है। डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार केवल मौखिक आश्वासन देकर अनशन समाप्त करने का आग्रह कर रही है।

शनिवार रात 8:30 बजे से कोलकाता के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के छह डॉक्टर—स्निग्धा, तनया पांजा, सायंतनी घोष हाजरा, अनुष्टुप मुखोपाध्याय, अर्णव मुखोपाध्याय और पुलस्त्य आचार्य ने धर्मतला में अनशन शुरू किया। रविवार को आरजी कर के जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो भी इस अनशन में शामिल हुए, जिन्हें गुरुवार रात तबीयत बिगड़ने पर आरजी कर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जूनियर डॉक्टरों की 10 सूत्री मांगों में प्रमुख मांग राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायणस्वरूप निगम को पद से हटाने की है। संयोग से, शनिवार को मुख्य सचिव पंत ने अनशन खत्म करने का अनुरोध किया, जबकि उसी दिन नारायणस्वरूप निगम के विभाग ने अपने काम की प्रगति का ब्योरा भी जारी कर दिया।

इससे पहले, हेयर स्ट्रीट थाने की ओर से पांच अक्टूबर से चल रहे अनशन को लेकर डॉक्टरों को एक पत्र भी भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि प्रशासन की अनुमति के बिना मंच बनाना और अनशन करना अवैध है और डॉक्टरों की तबीयत बिगड़ने के बावजूद उन्होंने एंबुलेंस सेवा का इस्तेमाल नहीं किया। पुलिस ने डॉक्टरों से अपनी जगह छोड़कर चिकित्सा सहायता लेने की अपील भी की थी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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