बलवंत सिंह राजोआना अपने भाई कुलवंत सिंह के भाेग कार्यक्रम में हुआ शामिल
बलबंत को तीन घंटे की पैरोल, राम रहीम आएदिन आता बाहर: अकाल तख्त जत्थेदार
राजोआना फेक एनकांउटर पर आवाज नहीं उठाते तो आज माहौल कुछ और होता: मजीठिया
चंडीगढ़, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह राजोआना बुधवार को तीन घंटे के लिए पटियाला जेल से बाहर आया। सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह लुधियाना के राजोआना कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में शामिल हुआ। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में उसे वापस पटियाला की जेल में ले जाया गया।
यहां बलवंत सिंह राजोआना ने कहा कि उसे आज भी वो सीन याद है। जब मैं और दिलावर, मां-पिता से आशीर्वाद लेकर घर से मिशन पर निकले थे। उस समय हमारे कदम ऐसे चल रहे थे, जैसे जल्दी मंजिल की तरफ पहुंच रहे हों। परमात्मा की ऐसी कृपा हुई, हमारे मिशन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। दिलावर सिंह ने शहादत दी। उन्हें कौमी शहीद का दर्जा भी सिख कौम ने दिया। राजोआना ने कहा कि अकाली दल की पूरी लीडरशिप आज बड़े भाई को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंची। दुख की घड़ी में समस्त खालसा पंथ परिवार के साथ आकर खड़ा हुआ है। राजोआना ने कहा कि उसकी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। दिल्ली के हुक्मरानों ने पंजाब की धरती को लहूलुहान किया है। बेवजह गुरुद्वारों पर हमले करवाए। दिलावर सिंह शहीद हो गए, लेकिन मेरी गिरफ्तारी हो गई। 12 साल मैंने सेशन कोर्ट के फैसले का इंतजार किया। बलवंत ने कहा कि काेर्ट में सुनवाई के दाैरान जज साहब ने कहा था कि बलवंत सिंह तुम्हें पता है कि तुम सच बोल रहे हो। काेर्ट ने सजा सुनाई तो मैंने कहा कि मंजूर है। हाईकोर्ट ने मेरे डेथ के वारंट जारी किए।
इस माैके पर अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि उस समय जब फेक एनकाउंटर किए जा रहे थे, तब बलवंत सिंह राजोआना आवाज बुलंद नहीं करते तो शायद आज माहौल कुछ और ही होता। मुझे बंदी सिंह का सही मतलब भाई राजोआना से समझ आया है। अमृतपाल सिंह पर निशाना साधते हुए मजीठिया ने कहा कि साथियों को छुड़वाने के लिए थाना में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाना वाले बंदी सिख नहीं है। हम बंदी सिखों के मसलों में भटके हैं। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि भाई बलवंत सिंह कौम की इतनी सेवा न करते तो शायद आज इतनी हस्तियां यहां न पहुंचतीं। बलवंत सिंह के मन में किसी तरह की फांसी या सजा का डर नहीं है। आज सिर्फ तीन घंटे के लिए बलवंत सिंह पैरोल मिली है, लेकिन दूसरी तरफ गुरमीत राम रहीम को आए दिन पैरोल मिल रही है। उन्हाेंने कहा कि 1983 में कांग्रेस हुकूमत ने टेंकों से गुरुद्वारा और श्री अकाल तख्त साहिब पर हमला किया था। स्नान करने आई संगत पर फायरिंग हुई। कोई ऐसी सडक़ या नहर नहीं होगी, जहां झूठे एनकाउंटर कर युवाओं को मारा नहीं गया। 30 साल से बलवंत सिंह राजोआना जेल में बंद हैं। 12 साल से उनकी अपील पेंडिंग रखी है। उन्हें फांसी की चक्की में रखा गया है। सिखों के साथ भारत सरकार नाइंसाफी कर रही है। ये परिवार कौमी परिवार है।
उल्लेखनीय है कि बलवंत सिंह के भाई कुलवंत सिंह की 14 नवंबर को मौत हो गई थी। बलवंत सिंह राजोआना ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। इससे पहले जनवरी 2022 में हाई कोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी।
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(Udaipur Kiran) शर्मा