जगदलपुर, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । बस्तर अपने उत्पाद को ब्रांडिंग करने में पीछे है, बस्तर की महुआ शराब जो कि बस्तरिया संस्कृति का एक अहम हिस्सा भी है, लेकिन इसे ब्रांडिंग कर फ्रांस ने अपने नाम कर लिया, वहीं चापड़ा चटनी की बात की जाये तो, उसे भी ओड़िशा ने अपने नाम कर लिया। अब तक महुआ लड्डू और इमली को बस्तर अपने नाम ब्रांडिंग नहीं कर पाया है, ऐसे में कोई देश इन उत्पादों की ब्रांडिंग न कर ले, इसके पहले ब्राडिंग करने की जरूरत है, क्योंकि इन उत्पादों को भी अपने नाम करने से बस्तर कहीं चूक न जाय। उल्लेखनीय हाे कि बस्तर के महुआ को लेकर दो उद्योग घरानों ने हाथ बढ़ाया था, बस्तर जिले के धुरागांव में महुआ शराब बनाने की फैक्ट्री लगाने की तैयारी भी थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण सफलता नहीं मिल पायी। मेसर्स व्रज कामर्शियल प्रा.लि. रायपुर और मेसर्स बस्तर बोटानिक्स प्रा.लि. बस्तर ने राज्य सरकार के साथ एमओयू किया था, लेकिन यह भी अधर में अटक गया। बस्तर में हर साल भारी मात्रा में ग्रामीण सीजन में महुआ व इमली का संग्रहण करते हैं। इसके बाद इसे साप्ताहिक हाट-बाजारों में विक्रय कर अपनी जरूरत पूरी करते हैं। इसके अलावा ग्रामीण महुआ को अच्छे से सुखाकर साल भर रखते हैं, और गांवों में ही शराब बनाने के लिए विक्रय करते हैं। वर्ष 2022 में फ्रांस की वाइन कम्पनी के कुछ लोग बस्तर आए थे और वे बस्तर के जंगलों में मिलने वाले महुआ के फूल से बनने वाली शराब की क्वालिटी से प्रभावित हुए थे। उन्होंने इंडो-फ्रेंच फ्लैगशिप के तहत एमएएच स्प्रिट्स के सहयोग से महुआ से उच्च क्वालिटी की शराब बनाकर 2022 में ही लांच किया था, जिसका नाम माह रखा गया, अब यह माह नाम से ब्रांडिंग शराब यूरोप मे धूम मचा रखी है। इसी तरह बस्तर की चापड़ा चटनी ने देश की राजधानी दिल्ली तक धूम मचायी थी, लेकिन इसमें भी बस्तर चूक गया। सीमायी प्रांत ओड़िशा ने चापड़ा चटनी को अपने नाम कर लिया। इस तरह बस्तर की महुआ शराब और चापड़ा चटनी का फायदा दूसरे प्रांत ने उठा लिया।
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे