

मुंबई,29 मई ( हि.स.) । गणपति बप्पा मोरया!… हालांकि यह जयकारा लगने में अभी कुछ समय है, लेकिन विदेशों में बसे गणेश भक्त अभी से स्वागत में तैयार हैं। ठाणे के प्रसिद्ध समाजसेवी और साहित्यकार डॉ प्रशांत सिनकर ने आज बताया कि अपने प्यारे बप्पा के स्वागत के लिए प्रथमेश इको-फ्रेंडली आर्ट फैक्ट्री में बप्पा की मूर्तियों की खेप शुरू हो गई है। इस साल घरेलू और सार्वजनिक दोनों तरह की 200 इको-फ्रेंडली मूर्तियां सीधे ब्रिटेन और अमेरिका में विदेश में बसे गणेश भक्तों के लिए भेजी गई हैं।
डॉ प्रशांत का कहना है कि दरअसल विदेश में बसे भारतीय नागरिक वहां की संस्कृति का सम्मान करते हुए अपने त्योहारों को हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इसमें गणेशोत्सव का उत्साह अलग होता है। बप्पा के आगमन से लेकर विसर्जन तक का उत्सव समान भक्ति और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। इसलिए वहां के गणेश भक्त पहले से ही ऑर्डर दे देते हैं ताकि बप्पा की मूर्ति समय पर उनके पास पहुंच जाए। मूर्तियों को भेजने में 40 से 50 दिन का समय लगता है, इसलिए मूर्तियों की खेप अभी से शुरू हो गई है। इन मूर्तियों की खासियत यह है कि ये कागज की लुगदी से बनी हैं और देखने में भी आकर्षक हैं। मूर्ति के निर्माण में करीब 60 प्रतिशत कागज, 30 प्रतिशत गोंद और 10 प्रतिशत गुजरात से लाई गई विशेष सफेद मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। इन सभी को सही तरीके से मिश्रित कर विसर्जन के बाद साफ-सुथरी, नाजुक और आसानी से घुलने वाली मूर्ति बनाई जाती है।, प्रथमेश इको-फ्रेंडली आर्ट के संदीप गजकोश ने बताया कि इस साल अमेरिका के टेक्सास शहर में भेजी गई मूर्तियों में से एक 8 फीट ऊंची है। इसे खास तौर पर सार्वजनिक समारोह के लिए तैयार किया गया है। इन मूर्तियों की पैकिंग, परिवहन और आव्रजन प्रक्रिया को बहुत सख्ती से किया जाता है। प्रमेश इको फ्रेंडली आर्ट विशेषज्ञ संदीप गजकोश का कहना है कि बप्पा न केवल हमारी आस्था की पहचान हैं, बल्कि अब वे पर्यावरण प्रेम के प्रतीक भी बन रहे हैं। दुनिया भर के गणेश भक्त अब मूर्तियों का चयन करते समय पर्यावरण मित्रता को प्राथमिकता देते हैं। इसी भावना के साथ हम हर साल मूर्तियों को विदेश भेजने का काम कर रहे हैं। इस साल भी हमने यह सुनिश्चित करने की तैयारी की है कि मूर्तियाँ समय पर और सुरक्षित रूप से हमारे पास पहुँचें।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
