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रामगढ़, 14 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । रामगढ़ जिले के बैंकों में पैसे जमा करने वाले और निकालने वाले ग्राहक अक्सर बाइकर्स गैंग और चोर उचक्कों के शिकार हो रहे हैं। पहले तो अपराधी बैंक के अंदर उनकी निगरानी करते थे और बाहर निकलते ही लूट लेते थे। लेकिन अब चोरों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वह बैंक के अंदर ही ग्राहकों को अपना शिकार बनाने लगे हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दर्जनों छिनतई और लूट की वारदातों के बावजूद बैंक प्रबंधन अपनी सुरक्षा में कोई भी सुधार नहीं कर रहा है। ना तो सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और ना ही वह चोरों को पकड़ने के लिए बैंक प्रबंधन के सुरक्षा अधिकारी कोई काम कर रहे हैं। लूट और छिनतई की हर वारदात के बाद ग्राहकों को नजदीकी थाना का रास्ता दिखा दिया जाता है।
रामगढ़ जिले का ऐसा कोई बैंक नहीं जहां चोर उचक्कों ने ग्राहकों को नहीं लूटा हो। बैंक से पैसे निकाल कर बाहर निकलने वाले ग्राहक से बैग छीनकर बाइकर्स रफू चक्कर हो जाते हैं। हाल में बैंक ऑफ़ बड़ोदा और बैंक ऑफ़ इंडिया में ऐसी वारदात हुई जिसने ग्राहकों को सदमे में पहुंचा दिया है। अपराधी बैंक के अंदर मौजूद रहते हैं और वह ग्राहकों का जेब काट लेते हैं। वैसे लोगों की पहचान करने और पकड़ने के लिए बैंक ना तो कोई पहल करता है और ना ही सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी निभाता है।
बैंक में आने वाले ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने और अपराधियों को पकड़ने के लिए जिला प्रशासन लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। पुलिस भी अपराधियों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है। लेकिन बैंक के अधिकारी इन सभी मुद्दों पर अपना पल्ला झड़े हुए नजर आते हैं। हर वारदात के बाद बैंक अपनी डफली, अपना राग अलापते नजर आता हैं। एसपी ने बेहतर क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे लगाने और कई एंगल पर कैमरे लगाने के लिए सभी बैंक प्रबंधकों को चिट्ठी भी लिखी थी। डीएसपी और रामगढ़ थाना प्रभारी के स्तर से भी बैंकों को चिट्ठी लिखी गई। लेकिन किसी भी बैंक ने उसपर अमल नहीं किया। वह पुराने जमाने के सामान्य सीसीटीवी कैमरे पर ही अपनी सुरक्षा का राग अलापते हैं।
रामगढ़ शहर के लोग चोर और बाइकर्स गैंग का शिकार होने के बाद सीधे थाना पहुंचते हैं। लेकिन कभी भी बैंक प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी निभाता नहीं दिखा। इस मुद्दे पर ना तो कभी चेंबर ऑफ कॉमर्स और ना ही व्यापारियों का अन्य संगठन सक्रिय नजर आता है। ग्राहक बैंक के अंदर लूटे जाएं या सड़कों पर, नतीजा यह है कि उनकी गाढ़ी कमाई से चोर अपनी जेबें भर रहे हैं। क्या कभी बैंक प्रबंधकों की जिम्मेदारी तय होगी? ताकि ग्राहकों की गाढ़ी कमाई
की सुरक्षा हो सके।
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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
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