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जयपुर, 18 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण में कार्यरत महिला पिओन के लेडीज टॉयलेट्स साफ करने से इनकार करने पर उसके खिलाफ 9 जनवरी 2025 के नोटिस के तहत की जाने वाली अनुशासनात्मक व दंडात्मक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है। वहीं मामले में अधिकरण के रजिस्ट्रार से जवाब मांगा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश कौशल्या देवी की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने बताया कि याचिकाकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के तहत अधिकरण में 26 अगस्त 2013 को पिओन के पद पर नियुक्त हुई। उसकी सेवाएं नियमित तौर पर जारी रही। इस दौरान विभाग ने उसे 11 सितंबर 2024 को लेडिज टॉयलेट्स की सफाई करने के लिए कहा, लेकिन उसने टॉयलेट्स साफ करने से मना कर दिया। इस पर उसे 9 जनवरी को नोटिस देकर पूछा गया कि टॉयलेट्स साफ नहीं करने पर क्यों ना उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए। विभाग की इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि ऐसा आदेश देना सेन्ट्रल सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स की अवहेलना है। वहीं ऐसा आदेश देना संविधान के प्रावधानों के तहत उसकी जीवन जीने की स्वतंत्रता के भी खिलाफ है। इसलिए उसके खिलाफ केवल टॉयलेट्स साफ करने से इनकार करने पर की जाने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाते हुए अधिकरण से जवाब तलब किया है।
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(Udaipur Kiran)
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