
जयपुर, 23 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने तीसरी संतान होने के आधार पर कॉलेज शिक्षा विभाग के अधिकारी को पूर्व में दिए चयनित वेतनमान का लाभ वापस लेकर उसे तय समय के पांच साल बाद देने और इस अवधि में दी गई राशि की वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में कॉलेज शिक्षा आयुक्त सहित अन्य से जवाब तलब किया है। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश राजकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अप्रैल, 2000 में कॉलेज शिक्षा विभाग में लिपिक नियुक्त हुआ था। उसकी नौ साल की सेवा पूरी होने पर उसे जून, 2010 में चयनित वेतनमान का लाभ दिया गया और मई, 2015 में उसे वरिष्ठ सहायक के तौर पर पदोन्नत किया गया। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने अक्टूबर, 2015 में एक परिपत्र जारी कर प्रावधान किया कि किसी भी कर्मचारी के दो से अधिक संतान होने पर उसे चयनित वेतनमान तय तिथि से पांच साल बाद दिया जाए। राज्य सरकार ने मई, 2024 में आदेश जारी कर उसे साल 2010 में दी गई एसीपी को निरस्त कर उसे साल 2015 से देने के आदेश दिए। इसके साथ ही इन पांच सालों में दिए गए भुगतान को अधिक बताकर उसकी रिकवरी निकाल दी। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि एसीपी निरस्त करने के आदेश से पूर्व न तो याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया और ना ही उसे सुनवाई का मौका मिला। वहीं उसे एसीपी का लाभ देते समय संबंधित परिपत्र अस्तित्व में ही नहीं था। ऐसे में परिपत्र को भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता। इसके अलावा राज्य सरकार स्वयं की पूर्व दो से अधिक संतान होने पर एसीपी के लाभ को पांच के बजाए तीन साल रोकने का परिपत्र जारी कर चुकी है। वही राज्य सरकार ने हाल ही में एक अन्य परिपत्र जारी कर प्रावधान किया है कि तीसरी संतान के आधार पर किसी कर्मचारी की एसीपी नहीं रोकी जाएगी। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एसीपी रोकने और रिकवरी के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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(Udaipur Kiran)
