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बालजी ने अपना सारा जीवन हिन्दू समाज एवं देश सेवा में समर्पित किया: स्वान्त रंजन

स्वंत रंजन
उपस्थित जन

लखनऊ, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । बालजी वर्ष 1962 में स्व.अशोक सिंहल की प्रेरणा से नौकरी छोड़कर संघ के प्रचारक बने। तब से अपना सारा जीवन हिन्दू समाज एवं देश की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वयं के प्रति वह बड़े कठोर थे। अपने आचरण व व्यवहार से कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देते थे। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कही।

वह बुधवार को विशालखण्ड गोमतीनगर स्थित सीएमएस सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हाेंने बताया कि लम्बे समय तक उनके साथ रहने का मुझे अवसर मिला। बालजी के साथ घूमते फिरते ही मुझे संघ व शाखा का संस्कार मिला। जब मैं काशी में महानगर प्रचारक था तब बालजी विभाग प्रचारक थे। काशी की गलियों हमें हमने उन्हें स्कूटर पर बैठाकर खूब घुमाया है। कार्यकर्ताओं के सुख दु:ख में बालजी खड़े होते थे। कार्यकर्ताओं को प्रेम से डांटते थे। जिन बातों को नहीं करना उसे वह कठोरता से मना करते थे। शारीरिक प्रमुख तो वह थे ही। घोष के भी अच्छे वादक थे। समर्पण का भाव गहराई से उनके मन में था।

–बालजी ने अपना पूरा जीवन भारत माता की सेवा में लगायाः ब्रजेश पाठक

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बालजी को भावांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत माता की सेवा में लगाया। जीवन के आदर्शों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। बालजी का पूरा जीवन सिद्धान्तों के प्रति अडिग था। वह युवाओं के प्रेरणास्रोत थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रेम कुमार ने कहा कि बालजी को हमने हमेशा एक परिपक्व व अनुभवी कार्यकर्ता के रूप में देखा। अहंभाव, अर्थ व चारित्रय इन सबसे परे उनका बेदाग जीवन था। उनके जीवन में कोई कमी खोजने से नहीं मिलती। कठोर परिस्थितियों में वह संघ का काम करने निकले थे लेकिन अनुकूल परिस्थिति आने के बावजूद भाव व प्रभाव उनको छू नहीं सका।

राष्ट्र सेविका समिति की क्षेत्र कार्यवाहिका शशि दीदी ने कहा कि बालजी के जीवन से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। कार्यकर्ताओं को सदैव प्रेरणा देते रहते थे। परिवारों में भोजन पर जाने पर घर की बहनों से देश व समाज की परिस्थितियों पर चर्चा करते थे। सह प्रान्त संघचालक सुनीत खरे ने कहा कि वह कठोर तो थे ही साथ ही अनुशासन प्रिय थे। उन्होंने पूरा जीवन मातृभूमि की सेवा में समर्पित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र शारीरिक शिक्षण प्रमुख अखिलेश ने कहा कि बालजी व्यवस्था विभाग के साथकृसाथ शारीरिक विभाग के भी तज्ञ थे। जब हम नागपुर शिक्षक बनकर गये तब वह बहुत खुश हुए और हर बार एक नई टेक्निक शारीरिक विभाग की बताते थे।

पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि बालजी से पितातुल्य व बड़े भाई जैसा स्ननेह मिलता था। वह यहां पर प्रान्त प्रचारक थे तब से उनसे परिवार स्नेह रहा है। अनेक कार्यकर्ताओं को उन्होंने गढ़ने का काम किया। राष्ट्रधर्म के प्रभारी निदेशक सर्वेश द्विवेदी ने कहा कि मजदूरों के बीच काम करने के लिए बालजी ने प्रेरित किया। उनकी कार्यशैली,दृढ़ता व कठोरता उनसे मैंने सीखी। कार्यकर्ताओं को वह प्रेरणा देने का कार्य करते थे। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबीरानी मौर्य, श्याम नंदन सिंह, प्रान्त प्रचारक कौशल, क्षेत्र के प्रचार प्रमुख सुभाष, सह प्रचार प्रमुख मनोजकांत, समरसता विभाग के प्रान्त प्रमुख राजकिशोर, प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य प्रशान्त भाटिया, विभाग कार्यवाह अमितेश, विभाग प्रचारक अनिल, भाजपा से भारत दीक्षित, किसान संघ से अशोक यादव, विद्या भारती से जय प्रताप सिंह, लोक भारती से बृजेन्द्र पाल सिंह, आरोग्य भारती से डाॅ.बीएन सिंह ने श्रद्धांजलि दी।

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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन यादव

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