
जम्मू, 8 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जैसे ही राष्ट्र डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत को याद करता है हमें समानता, न्याय और सभी के लिए सम्मान के लिए उनके आजीवन संघर्ष की याद आती है। भारतीय संविधान के वास्तुकार और मानवाधिकारों के कट्टर समर्थक के रूप में सम्मानित डॉ. अंबेडकर का दृष्टिकोण आज भी सामाजिक सुधार और समावेशिता के लिए आंदोलनों को प्रेरित करता है।
यह बात जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व उपाध्यक्ष बलबीर राम रतन ने डॉ. अंबेडकर के संघर्षपूर्ण जीवन पर चर्चा के दौरान अपनी पार्टी के सहयोगियों से बात करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर एक महान बुद्धिजीवी, अर्थशास्त्री और कानूनी सुधारक के रूप में उभरने के लिए भारी सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर विजय प्राप्त की। जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ उनकी अटूट लड़ाई ने एक अधिक न्यायपूर्ण और समान भारत की नींव रखी। उनके प्रयासों के कारण स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के सिद्धांतों को भारतीय संविधान में स्थापित किया गया।
वे मूल्य जो आज के सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में गहराई से प्रासंगिक बने हुए हैं।
बलबीर ने आगे कहा कि समानता के लिए अंबेडकर की विचारधारा समाज से एक ऐसे भविष्य की ओर प्रयास करने का आह्वान करती है जहां हर व्यक्ति के साथ जाति लिंग या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सम्मान और न्याय के साथ व्यवहार किया जाए। यह विश्वास कि शिक्षा सशक्तिकरण का एक साधन है जैसा कि डॉ. अम्बेडकर ने जोर दिया था आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षा अन्याय और हाशिए पर जाने के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार है।
बलबीर राम रतन ने कहा कि हर साल डॉ. अंबेडकर की जयंती पर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थान और सामुदायिक समूह उनके योगदान के बारे में ज्ञान फैलाने के लिए सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित करते हैं। ऐसे कार्यक्रमों का मुख्य लक्ष्य युवाओं को अंबेडकर के जीवन और मूल्यों से परिचित कराना और एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को फिर से जगाना होना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
