जबलपुर, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट से चार बार जमानत खारिज हो जाने के बाद उच्च अदालत जाने या फिर आदेश के विरुद्ध अपील ना करते हुए कथित आरोपी को कारावास में रखने को अवैध करार देते हुए हेबियस कॉरपस याचिका दायर की गई थी। इस मामले में याचिकाकर्ता के पिता को मात्र पाँच हज़ार रुपए के निजी मुचलके और श्योरिटी बांड पर जमानत दे दी गई है।
सुविधा लैंड डेवलपर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर निवेश का झांसा देकर लोगों से ठगी करने के आरोप लगे थे। जिसके बाद साल 2021 में जिबराखन साहू सहित कुल छह लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में कंपनी के अन्य चार डायरेक्टर्स के साथ जिबराखन को भी डायरेक्टर बताया गया था। जबकि जिबराखन साहू उस कंपनी में केवल प्रमोटर थे। इसलिए ही जिबराखन साहू की बेटी ने यह याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष यह तथ्य रखे की इस मामले में बागसेवनिया पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। पर पुलिसकर्मियों ने हद दर्जे की लापरवाही की है। जहाँ एक ओर याचिकाकर्ता के पिता जबराखन साहू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, वहीं अन्य किसी भी डायरेक्टर से पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की है।
शासकीय अधिवक्ता ने इस मामले में हेबियस कॉरपस याचिका की सुनवाई करने का पुरज़ोर विरोध किया पर वह अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए। अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता के तर्कों से संतुष्ट होते हुए चीफ जस्टिस की युगलपीठ ने आदेशित किया कि याचिकाकर्ता के पिता को जेल में रखा जाना अवैध कारावास है और उन्हें जमानत का लाभ दिया।
इस मामले की सुनवाई में अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखे की इस घपले को आरोपी बनाए गए जबराखन साहू ने ही उजागर किया था और उनकी शिकायत पर ही मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद भी पुलिस के द्वारा अन्य किसी भी व्यक्ति को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। सेबी के द्वारा दी की गई जानकारी के अनुसार भी जिबराखन साहू इस कंपनी के मैनेजमेंट में नहीं है और ना ही डायरेक्टर हैं। इन सब तथ्यों के बाद भी जबराखन साहू की लगातार चार बार जमानत अर्जी खारिज की गई थी। इसके बाद जमानत अपील न करते हुए जिबराखन साहू की बेटी ने अपने पिता की रिहाई के लिए हेबियस कॉरपस याचिका दायर की गई थी।
भविष्य में इस तरह के मामलों में इस आदेश का फायदा उन लोगों को मिलने वाला है जो झूठे मुकदमे में जेल में बंद है। जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की युगलपीठ के द्वारा इस मामले में दिया गया फैसला मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि भविष्य में इस तरह के मामलों में हाईकोर्ट के फैसले का उपयोग किया जा सकेगा।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक