Uttar Pradesh

श्रद्धा-भक्ति-समर्पण से सराबोर ‘बाबा कीनाराम स्थली’

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-400 साल से लगातार प्रज्ज्वलित है क्रीं कुंड में अखंड धूनी

वाराणसी, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरु पूर्णिमा पर्व पर रविवार को रविन्द्रपुरी शिवाला स्थित ‘बाबा कीनाराम स्थली’ क्रीें कुंड में श्रद्धा-भक्ति-समर्पण का नजारा है। अघोरियों के सर्वमान्य तीर्थस्थान, ‘क्रीं-कुण्ड’ पीठाधीश्वर, अघोराचाचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है। आधुनिक वैज्ञानिक युग में, भारत की प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा में शिष्य का गुरु के प्रति समर्पण देखते ही बन रहा है।

गुरु दरबार में भोर 4 बजे से ही आश्रम परिसर के बाहर लम्बी कतार में श्रद्धालु अनुशासनबद्ध होकर गुरु के आसन पर विराजमान होने का इंतज़ार कर रहे थे। सुबह 08 बजे पूजा अर्चना के बाद जैसे ही अघोराचार्य सिद्धार्थ गौतम राम अपने कक्ष से बाहर निकले, हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से पूरा परिसर गूँज उठा। परिसर में स्थित अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम, अघोरेश्वर महाप्रभु अवधूत भगवान् राम सहित सभी 55-60 समाधियों के पूजन- दर्शन के बाद जब अघोराचार्य अपने औघड़ तख़्त पर आसीन हुए तो ढोल-डमरू-नगाड़े-शंख के साथ हर-हर महादेव का उद्घोष फिजाओं में रहा। क़तारबद्ध भक्तों ने गुरु के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर शीश नवाया और उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया।

गुरु दर्शन-पूजन और प्रसाद ग्रहण का ये सिलसिला देर शाम तक चलता रहेगा। गुरु दरबार में पिछले 400 साल से लगातार प्रज्ज्वलित अखंड धूनी का दर्शन् कर श्रद्धालु आह्लादित दिखे। क्रीं कुंड आश्रम के संजय सिंह ने बताया कि यहां पर पीठाधीश्वर परंपरा है। अघोर में गुरु पूर्णिमा का अर्थ है गुरु पूर्ण मां। दुनिया के पहले अघोरी भगवान शिव हैं और उनके समय से ही यह परंपरा चली आ रही है।

कीनाराम स्थल पर जलने वाली धूनी का भस्म ही यहां का प्रसाद है। आश्रम के बारे में जन विश्वास है कि जेके दे न राम ओके दे कीनाराम। अर्थात जिन पर भगवान राम भी कृपा नहीं करते उन पर अघोरी बाबा कीनाराम करते हैं। लोगों का मानना है कि पांच रविवार और मंगलवार को क्रीं कुंड में स्नान कर आचमन करे तो उसके कष्ट का निवारण होगा। इसी विश्वास के चलते रविवार और मंगलवार को क्रीं कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला

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