जोधपुर, 30 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रदेश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जहां अब जीवन के लिए स्वावलंबी चिकित्सा का आधारभूत पाठयक्रम शीघ्र ही प्रारंभ किया जा रहा है। इसमें गौ आधारित-पंचगव्य एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को सिखाया जाएगा। साथ ही लोक में प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों का वैज्ञानिकीकरण करने के प्रमुख उद्देश्य से यह पाठयक्रम प्रारंभ किया जा रहा है।
कुलपति प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने बताया कि इस अभिनव डिप्लोमा पाठ्यक्रम का उद्देश्य समाज में दो प्रमुख स्तरों पर महत्वपूर्ण कार्य करना है जिसमें पहला प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य के जागरूक कार्यकर्ता तैयार किए जाएंगे, जो गांवों और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रोगों के निवारण के लिए परामर्श और सरल उपचार उपलब्ध कराएंगे। इससे अस्पतालों पर भार कम होगा और गंभीर रोगियों को बेहतर उपचार की सुविधा मिल सकेगी। वहीं यह पाठ्यक्रम आम व्यक्ति को सिखाएगा कि वह कैसे स्वस्थ रहे और बीमारियों से बचे। प्रशिक्षित कार्यकर्ता गांव और छोटे स्थानों पर प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग कर लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाएंगे।
पाठ्यक्रम के प्रमुख बिंदु
मीडिया प्रभारी डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम आयुर्वेद, पंचगव्य चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, चुंबक चिकित्सा, और अन्य वैकल्पिक पद्धतियों पर आधारित है। छह माह की अवधि के इस कोर्स में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी इस कोर्स को कर सकते है।
समझौते के आधार पर अभ्यास भी कराया जाएगा :
प्रशिक्षण के लिए गौ संवर्द्धन आश्रम, मोकलावास के साथ समझौते के आधार पर अभ्यास भी कराया जाएगा। यह पाठ्यक्रम गांव आधारित चिकित्सा और ग्रामीण उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देकर रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने पर केंद्रित है। इससे गांवों और छोटे कस्बों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित होगी। पंचगव्य और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर हो सकेगा।
स्वस्थ भारत मिशन को मिलेगा बल :
पहले से कार्यरत पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञों को मान्यता और प्रमाणन मिलेगा। प्रधानमंत्री जी के स्वस्थ भारत मिशन को बल मिलेगा और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में योगदान होगा। यह प्रयास न केवल ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करेगा, बल्कि लोगों में प्रकृति आधारित जीवन शैली अपनाने के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा।
(Udaipur Kiran) / सतीश