– प्रशिक्षु अधिकारी और युवा विद्यार्थी आयुर्वेद से आमजन को जोडे, रिसर्च के लिए भी आगे आएं: आयुष मंत्री
इन्दौर, 3 दिसंबर (Udaipur Kiran) । आयुर्वेद जीवन पद्धति है, योग से मिलकर यह श्रेष्ठ जीवन पद्धति बना है। हमारे पूर्वजों से मिले आयुर्वेद के ज्ञान का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पूर्वजों से हमें ज्ञान, परंपरा और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की जानकारी मिली है, उसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। ग्रामीण समाज और जनजातीय समाज में आज भी पर्यावरण, प्रकृति, नदी पहाड़ का विशेष महत्व है। आयुर्वेद की जानकारी भारतीय परिवारों, ग्रामीण और जनजातीय समाज में आज भी प्रासंगिक है। पूर्वजों से मिले आयुर्वेद के ज्ञान को हमें संजोकर रखना है और इसका अधिक से अधिक प्रसार करते हुए आयुर्वेद के महत्व से सभी को जोड़ता है।
यह बात मंगलवार को प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज इंदौर में नव नियुक्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों एवं आयुर्वेद विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा हमारे पूर्वजों के ज्ञान को लेकर फैलाई गई भ्रांति को हमें दूर करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम सभी भारत को विश्व गुरु बनाने के प्रयासों को सशक्त करें।
उन्होंने कहा कि 2047 में गौरवशाली और सशक्त भारत के निर्माण के लिए हर देशवासी को अपने-अपने स्तर पर सकारात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है। देश में प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रगति के विशेष प्रयास निरंतर किये जा रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों आयुर्वेद अधिकारियों और विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में भी नवीन रिसर्च और आयुर्वेद चिकित्सा सेवा का अधिक से अधिक प्रसार करते हुए अपना योगदान दें।
मंत्री परमार ने तुलसी के पौधे के आयुर्वेदिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा और ज्ञान में विज्ञान समाहित है। प्रकृति परीक्षण अभियान के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य की प्रकृति के परीक्षण का अभिनव अभियान प्रारंभ किया गया है। उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा सेवा प्रसार और व्यवस्थाओं के लिए हर संभव सहयोग के लिए आश्वस्त किया।
इस अवसर पर उन्होंने नव चयनित प्रशिक्षु आयुर्वेद अधिकारियों से आह्वान किया कि वे आयुर्वेद चिकित्सा सेवा और इस क्षेत्र में उच्च श्रेष्ठ मूल्यों के साथ कार्य करते हुए आयुर्वेद चिकित्सा सेवा का अधिक से अधिक प्रसार करें। उन्होंने दूरस्थ और आदिवासी अंचल में सिकलसेल एनीमिया की लड़ाई में आयुर्वेद के माध्यम से इलाज का आह्वान किया। इस अवसर पर विधायक मालिनी गौड, शासकीय स्वशासी अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. अजीतपाल सिंह चौहान सहित गणमान्यजन, आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल के स्टाफ सदस्य, नव नियुक्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों एवं आयुर्वेद विद्यार्थियों आदि उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) तोमर