Jammu & Kashmir

अटल डुल्लू ने नगर निगमों के लिए कचरा प्रबंधन कार्य योजना तैयार करने की समय सीमा तय की

जम्मू 15 जनवरी (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आवास एवं शहरी विकास विभाग की बैठक की जिसमें ठोस एवं तरल कचरे के वैज्ञानिक तरीके से प्रसंस्करण में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न यूएलबी सहित नगर निगमों की क्षमता निर्माण के लिए उठाए जा रहे कदमों का जायजा लिया गया।

बैठक में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव, प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष, एचएंडयूडीडी के आयुक्त सचिव, एसएमसी/जेएमसी के आयुक्त, यूएलबी जम्मू/कश्मीर के निदेशक और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने संबंधितों को जम्मू-कश्मीर के दोनों नगर निगमों और अन्य नगर पालिकाओं के लिए व्यापक और घटकवार कचरा प्रबंधन योजनाएं बनाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने एसएमसी और जेएमसी के नगर आयुक्तों को घरों से प्रतिदिन निकलने वाले ठोस एवं तरल कचरे के उपचार के लिए दोनों शहरों के लिए वैज्ञानिक योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने उन्हें जनसंख्या और कचरा उत्पादन दोनों के संदर्भ में भविष्य के अनुमानों को ध्यान में रखने का निर्देश दिया।

अटल डुल्लू ने उन्हें सलाह दी कि वे इस अनुपचारित कचरे के स्थलों को साफ करने के लिए विरासती कचरे के उपचार के लिए एक साथ योजनाएँ बनाएँ। उन्होंने उन्हें ठोस कचरे के लिए सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाओं, तरल कचरे के लिए खाद इकाई/बायो-सीएनजी संयंत्र और निष्क्रिय कचरे के लिए डंपिंग साइटों की स्थापना के लिए व्यवहार्य स्थानों की पहचान करने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि कचरे का प्रबंधन स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों ही चिंताओं के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस कार्य के लिए विभाग की ओर से पूरी गंभीरता और समर्पण की आवश्यकता है ताकि हमारे शहरों और कस्बों को अनुपचारित कचरे और कूड़े से पूरी तरह से मुक्त किया जा सके।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीसीसी को जम्मू-कश्मीर में पर्यावरण संरक्षण कानूनों के प्रवर्तन में सक्रिय होने का निर्देश दिया। उन्होंने उन्हें उनके अधिदेश के बारे में जागरूक किया और उन्हें कानून के अनुसार उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने अधिकार का उपयोग करने के लिए कहा।

मुख्य सचिव ने जम्मू और कश्मीर के दोनों संभागों में जेएमसी, एसएमसी और यूएलबी के निदेशकों द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी समीक्षा की। एचएंडयूडीडी की आयुक्त सचिव मनदीप कौर ने यूटी के जिलों के लिए एसबीएम 2.0 के तहत भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित विभिन्न परियोजनाओं का अवलोकन प्रस्तुत किया।

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक आधार पर विरासती कचरे के उपचार के लिए निविदाएं आमंत्रित करने के अलावा पूरे जम्मू-कश्मीर में ठोस और तरल अपशिष्ट उपचार दोनों के लिए सुविधाएं बनाई जा रही हैं।

जेएमसी आयुक्त देवांश यादव ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में जेएमसी, एसएमसी और अन्य स्थानीय निकायों द्वारा किए गए विस्तृत कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विस्तार से बताया कि कचरे को अलग करके उसका उपचार किया जाता है और ठोस कचरे को एमआरएफ सुविधा में ले जाया जाता है जबकि तरल कचरे को खाद बनाने वाली इकाइयों में ले जाया जाता है जहां मिट्टी अच्छी तरह से तैयार की जाती है या ईंधन बनाने के लिए बायो-सीएनजी संयंत्रों में भेजा जाता है।

इसके अलावा बताया गया कि कचरे के विभिन्न घटकों का अलग-अलग तरीके से उपचार किया जाता है जिसमें से कुछ कचरे से निकलने वाले ईंधन का उपयोग सीमेंट कारखानों द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि केवल निष्क्रिय कचरे को ही अंतिम निपटान के लिए लैंडफिल साइटों पर भेजा जाता है।

विभिन्न जिलों में बनाई गई सुविधाओं के बारे में बताया गया कि जेएमसी द्वारा 40 टीपीडी और एसएमसी द्वारा 100 टीपीडी की क्षमता वाला एमआरएफ वर्तमान में अपने कचरे के उपचार के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा जम्मू के यूएलबी ने कश्मीर में 17 स्थानों पर 79 टीपीडी और कश्मीर के यूएलबी ने 9 स्थानों पर 18 टीपीडी की क्षमता स्थापित की है।

इसके अलावा तरल अपशिष्ट के उपचार के लिए एसएमसी द्वारा 25.29 एमएलडी, एलसीएमए द्वारा 36.7 एमएलडी, जेएमसी द्वारा 71 एमएलडी, जम्मू के यूएलबी द्वारा 13.6 एमएलडी और कश्मीर संभाग के यूएलबी द्वारा सामूहिक रूप से 6 एमएलडी क्षमता के एसटीपी स्थापित किए गए हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन की आगामी सुविधाओं के बारे में यह बताया गया कि 150 टीपीडी की क्षमता वाली एक एमआरएफ सुविधा इस साल सितंबर में कोट भलवाल में और जेएम के लिए बंदुरख में 55 टीपीडी की एक सुविधा शुरू हो जाएगी।

एसएमसी के लिए 459 टीपीडी की क्षमता वाली एक एमआरएफ को संशोधित कार्य योजना के तहत जल्द ही एमओएचयुए द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। जहां तक आगामी एसटीपी का सवाल है कश्मीर घाटी में श्रीनगर, सोनमर्ग, बारामुल्ला और चरार-ए-शरीफ में 66.9 एमएलडी क्षमता की एसटीपी निर्माणाधीन हैं। जम्मू में, जम्मू, अखनूर, सांबा, कठुआ और कटरा कस्बों में 109.2 एमएलडी की कुल क्षमता के एसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं।

विरासती कचरे के उपचार के संबंध में यह पता चला कि इसके उपचार के लिए जेएमसी द्वारा कुल 6.16 लाख मीट्रिक टन और एसएमसी द्वारा 11 लाख मीट्रिक टन का टेंडर किया गया है। इसी तरह जम्मू के यूएलबी ने 1.87 लाख मीट्रिक टन और कश्मीर के यूएलबी ने 2.98 लाख मीट्रिक टन विरासती कचरे को नैफेड के माध्यम से इसके उपचार के लिए टेंडर किया है।

बैठक में आगे बताया गया कि जेएमसी द्वारा लगभग 1.56 लाख मीट्रिक टन, जम्मू के 36 यूएलबी द्वारा 1.72 लाख मीट्रिक टन और कश्मीर के 40 यूएलबी द्वारा 0.78 लाख मीट्रिक टन विरासती कचरे का अब तक उपचार किया जा चुका है।

बैठक में यह भी बताया गया कि बड़े शहरों में औसतन 450 ग्राम/व्यक्ति/दिन कचरा निकलता है और छोटे शहरों में 300 ग्राम। नगर निकायों को एनजीटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने और वैज्ञानिक तरीके से उसका प्रसंस्करण करने का काम सौंपा गया है।

(Udaipur Kiran) / मोनिका रानी

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