
जयपुर, 8 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्लर्क, हेल्पर, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और सफाईकर्मी के पद पर कार्यरत संविदार्मियों को एक साल से मासिक वेतन नहीं देने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। वहीं अदालत ने चिकित्सा निदेशक को कहा है कि वह शपथ पत्र पेश कर बकाया वेतन नहीं देने का कारण बताए। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 14 मई को रखते हुए विभाग को कहा है कि वह याचिकाकर्ताओं के बकाया वेतन का भुगतान करे। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि बकाया भुगतान नहीं होता है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश फिरदौस व अन्य की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता योगेश टेलर ने बताया कि याचिकाकर्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, इंद्रगढ़ जिला बूंदी में दस साल से भी ज्यादा समय से संविदा के तौर पर क्लर्क, हेल्पर, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट व सफाईकर्मी के पद पर कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें अभी तक सेवा में नियमित नहीं किया गया है। इसके अलावा उन्हें बीते एक साल से वेतन भी नहीं दिया गया है। याचिका में कहा गया कि हर कर्मचारी को काम के बदले वेतन लेने का मौलिक अधिकार है। बिना वेतन दिए काम कराना बेगार के समान है। ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह उनका बकाया वेतन जारी करे। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने चिकित्सा निदेशक को शपथ पत्र पेश कर वेतन रोकने का कारण बताने को कहा है। इसके अलावा अदालत ने याचिकाकर्ताओं का बकाया वेतन भी जारी करने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)
