Madhya Pradesh

अशोकनगर: जो तुम्हारे भाग्य में होगा मिलेगा नहीं होगा आकर चला जाएगा: आदित्य सागर जी

अशोकनगर: जो तुम्हारे भाग्य में होगा मिलेगा नहीं होगा आकर चला जाएगा: आदित्य सागर जी

अशोकनगर,06 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । संसार में विकल्प रहित जीवन बड़ा दुर्लभ है, वैभव सहित विद्वत्ता अच्छी लगती है, रुक्मणि जी जब नारायण जी के साथ द्वारका में प्रवेश कर ही थी, तब वहां महिला सोच में थी कि रुक्मणि जी का पुण्य कितना बलवान है कि उनको नारायण जी का साथ मिला। यह बात मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने शुक्रवार को सुभाष गंज स्थित जैन मंदिर प्रांगण में अपने प्रवचनों में कही।

उन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि जैसा पुरुषार्थ, वैसा पुण्य, आप जैसी मेहनत करोगे आपको फल भी वैसा ही मिलेगा, बेईमानी का कार्य ज्यादा समय तक नह टिकता है, इसलिए सदैव ईमानदारी का कार्य करो 1 रोटी कम खा लेना पर ईमानदारी की खाना ।

उन्होंने कहा कि अगर सरस्वती खुश है तो लक्ष्मी अपने आप खुश होंगी, जब भी आप कोई ग्रन्थ या अन्य कुछ पढऩे बैठो तब आप सबसे पहले सरस्वती जी की आराधना करना और फिर बैठ कर पढ़ाई करना उसका फल आपको खुदको अपने आप समझ आजाएगा ।कभी कभी हमारी किस्मत का ताला आखिरी चाबी से खुलता आपको बस इंतजार करना पड़ता है और सही समय आने का इंतजार करना है।

लक्ष्मी आएगी तो अच्छी लगेगी,पनौती जायेगी तो अच्छी लगेगी।

मुनि श्री ने कहा कि सरलता सहित ऊंचाईया,जब आप शिखर पर होते है तब आपका सरल होना सबसे कठिन कार्य होता है, और कठिन होना सबसे सरल कार्य होता है परंतु अगर आप उच्च शिखर पर पहुंचने के बाद भी सरल स्वभाव रखते है तो आप असली जीवन की ऊंचाइयों पर है।

आप जितना ऊंचे जाए जाओ नीचे के आदमी को हमेशा देखते रहना आपको घमंड कभी नहीं होना चाहिए कुछ लोग होते है जिनको जरा सी उपलब्धि क्या मिली वो सातवें आस्मां पर होते है और जो उनका शुरू से साथ देते है उनको ही भूल जाते है आपको कभी ऐसा नहीं करना है हमेशा सरल बने रहना है और उस व्यक्ति का हमेशा साथ खड़े रहना है, ऊंचाइयां जिस व्यक्ति के पास है उसमें सरलता होनी चाहिए और अगर सरलता नहीं हुई तो ऊंचाइयां नहीं टिकेंगी।

प्रकृति हमेशा अच्छे व्यक्ति को अपने पास जल्दी ले जाती है, जितनी ऊंचाइयां उतनी सरलता। सरल होना परन्तु कोई तुम्हारी सरलता का फायदा न उठा पाए, सरलता को कभी मूर्खता न बनने देना

प्रिय वाक्य सहित जिव्या

मुनि श्री आदित्य सागर जी ने कहा कि जिंदगी निकल जाती है सीखने में की किसी के सामने क्या कहना है, दीवारों के भी कान होते है, और रोशन दान की आंख। इसलिए हमेशा सोच समझकर जवाब देना आप अगर आज किसी के बारे में कुछ कह रहे हो तो ज्ञात रहे आज नही तो कल वो बात सामने वाले समक्ष मिर्च मसालों के साथ पहुंचनी ही है इसलिए हमेशा सोच समझ कर ही जवाब दे या बात करे

दुर्योधन न बने युधिष्ठिर बने

उन्होंने कहा कि जो अच्छाई देखना नहीं जानता वो विद्वान व्यक्ति नहीं है वो छिदवान व्यक्ति है जिनको हमेशा मालपूए में छेद ही दिखेंगे उसमें भरी चासनी कभी नहीं दिखेगी वो हमेशा कोई न कोई बुराइयां ढूंढेंगे।

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(Udaipur Kiran) / देवेन्द्र ताम्रकार

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