अशोकनगर, 9 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । अगर अंदर से मैत्री भाव नहीं है तो बाहर से दिखावे का कोई मतलब नहीं, बात बहुत छोटी सी है, आज भी हम मैत्री करें तो किससे करें, जब तक आपका मन शांत न हो तब तक आपको कुछ समझ नहीं आएगा। यह बात मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने सोमवार को सुभाष गंज स्थित जैन मंदिर प्रांगण में अपने प्रवचनों में कही।
मुनि श्री ने कहा कि जीवन में मित्र और मित्रता दोनों आवश्यक है परंतु बिना परीक्षा के नही, गलत व्यक्ति से मित्रता करना पूरा जीवन बिगाड़ सकता है और सही व्यक्ति से मित्रता जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। बहुत दोस्त मिलते हैं आपको दुनिया में लेकिन गुरु और प्रभु से अच्छा मित्र कभी नहीं मिलेगा दुनिया में। किसी के घर तक जाना और किसी के दिल में जाना दोनों में बहुत अंतर है, आप किसी के घर से जाकर वापस आ सकते हैं परंतु किसी के दिल से वापिस आना हमेशा के लिए दरवाजे बंद कर देते है, बहुत सारे लोग के कंपैरिजन आप कम लोग से जुड़े परंतु अच्छे लोगों से जुड़े।
उन्होंने कहा कि 10 सोने की अंगुठी के बजाय आप एक हीरे की अंगुठी पहन ले वह काफी इसलिए 100 गलत मित्र की बजाय एक अच्छा मित्र ही 100 के बराबर है। बहुत सारे के बजाय अच्छे लोगों को जोड़ो, परंतु आप उसी को जोड़े जिससे आप जुडऩा चाहते है और उसके बाद आप जब रिश्ते बना लो उन पर आंख बंद करके विश्वास करो।जिंदगी छोटी सी है है आपको ऐसे ही जीनी पड़ेगी। हमको जो अच्छा लगता है हम वो करते है परंतु वो दूसरों के लिए अहितकारी न हो और खुदके लिए अहितकारी न हो ये ध्यान रखना, किसी को बार बार एक ही बात समझाना ये अज्ञानता का विषय है इसलिए कोई भी बात हो उतना ही समझाए जितना सामने वाला समझे ये समझदार व्यक्ति की विशेषता है। केवल सुनना ही नहीं है अंदर तक समझना भी सीखे।
मित्र कौन है जो हित की और ले जाए और अहित से बचाए वही सच्चा मित्र है। एक होता अनुकूल शत्रु और एक होता प्रतिकूल मित्र। एक आपको धर्म ध्यान की और लेकर जायेगा और एक होता जो आपको धर्म से दूर लेकर जाता है। मुनि श्री ने कहा कि मित्र और मित्रता जो आपको हित में लगाए और अहित से बचाए।गुटखा मंदिर का पुजारी नहीं सिखाएगा बाहर के किसी मित्र ने ही खिलाया होगा इससे समझे कि अच्छा मित्र कौन है आपका, गुटखा आपको अच्छा व्यक्ति कभी नही खिलाएगा। आपके पिताजी, आपका भाई, ये कभी आपको गुटखे का नहीं पूछेंगे क्योंकि ये आपके अच्छे और सच्चे मित्र है।
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(Udaipur Kiran) / देवेन्द्र ताम्रकार