Haryana

हिसार : सनातन संस्कृति व नैतिक शिक्षा के प्रसार में गुरुकुल निभा रहे अभूतपूर्व भूमिका : अशोक गर्ग

गुरुकुल में उपस्थित अतिथिगण, पदाधिकारी व विद्यार्थी।

गुरुकुल आर्यनगर के संस्थापक स्वामी देवानंद सरस्वती की 40वीं पुण्यतिथि पर

छात्रों ने दी देशभक्ति की प्रस्तुति

हिसार, 20 मई (Udaipur Kiran) । वैदिक शिक्षा व सनातन संस्कृति के पोषक गुरुकुल आर्यनगर

में गुरुकुल के संस्थापक स्वामी देवानंद सरस्वती की 40वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर

पर गुरुकुल के विद्यार्थियों ने देशभक्ति व वैदिक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियां

देकर सभी का मन मोह लिया। इस दौरान मंडल आयुक्त अशोक कुमार गर्ग मुख्य अतिथि रहे

जबकि सीकर के पूर्व सांसद व गुरुकुल के प्रधान स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने कार्यक्रम

की अध्यक्षता की।

मुख्यातिथि अशोक कुमार गर्ग ने मंगलवार काे कहा कि आज के दौर में गुरुकुलों की बहुत जरूरत

है। सनातन संस्कृति व नैतिक शिक्षा के प्रसार में गुरुकुल अभूतपूर्व भूमिका निभा रहे

हैं। उन्होंने कहा कि जिन परम्पराओं का निर्वहन गुरुकुल में किया जाता है, वे समाज

को सुदृढ़ता प्रदान करती हैं। अशोक गर्ग ने बच्चों से जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रश्न

पूछे तथा सवालों के जवाब देते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

पूर्व सांसद व गुरुकुल के प्रधान स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि वैदिक

संस्कृति जड़ों से जुड़ी है और इसी संस्कृति को अपनाकर युवा पीढ़ी को सदमार्ग पर चलाया

जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल आर्यनगर में न केवल वेद-मंत्रों व वैदिक शिक्षा

पर ध्यान दिया जाता है बल्कि छात्रों को वर्तमान परिदृश्य के अनुसार शिक्षित किया जाता

है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल आर्यनगर के विद्यार्थी वैदिक संस्कृति का प्रचार करते

हुए संस्कारी समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

इस अवसर पर मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने गुरुकुल की स्थापना व इसकी

समाज में भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने गुरुकुल आर्यनगर के संस्थापक

स्वामी देवानंद सरस्वती के व्यक्तित्व व कृतित्व से भी रूबरू करवाया। उन्होंने कहा

कि रचनात्मक व समाज हित की सोच के चलते स्वामी देवानंद सरस्वती ने गुरुकुल आर्यनगर

की स्थापना का महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने बताया कि स्वामी देवानंद सरस्वती ने

13 अप्रैल 1964 को आर्यनगर में गुरुकुल की स्थापना की थी। उस दौर में आर्य नगर के लाला

केसर दास बत्रा ने डेढ़ एकड़ जमीन दानस्वरूप दी।

इस जमीन पर गुरुकुल का निर्माण किया

गया। वर्तमान में गुरुकुल के मानद कुलपति आचार्य रामस्वरूप शास्त्री ने 13 अप्रैल

1964 को ही गुरुकुल में बच्चों की पहली कक्षा ली। कार्यकारी प्रधान रामकुमार आर्य बताया

कि प्रमुख समाजसेवी राजेंद्र गावडिय़ा ने हाल ही में गुरुकुल में नए भवन का निर्माण

करवाकर अनुकरणीय कार्य किया है। कार्यक्रम के समापन पर सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न

देकर सम्मानित किया गया।

गुरुकुल के मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में

हकृवि के वित्त नियंत्रक नवीन जैन, संरक्षक चंद्रा राम गुरी, रोहताश बीरथल डीएफओ, प्रमुख

समाजसेवी जिले सिंह टॉक, समाजसेवी संतोष कुमारी, शिक्षाविद गुन सागर जैन व प्रो. डॉ.

केके वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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