
कोल्हापुर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (एआईएफटीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट नारायण जैन ने कोल्हापुर में आयोजित राष्ट्रीय कर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भारत के टैक्स प्रैक्टिशनर्स, अधिवक्ताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए एक नया अवसर प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी में अग्रणी है और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह क्षेत्र कर प्रैक्टिस के क्षेत्र में नए दरवाजे खोल सकता है।
एआईएफटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवाेकेट जैन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के कानून मंत्री को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द कानूनी ढांचे को स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके। उन्होंने एनवीआईडिया के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेन्सेन हुआंग के बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें एआई के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला गया था।
जैन ने सोमवार को बताया कि यह सम्मेलन 26 और 27 अक्टूबर को कोल्हापुर में एआईएफटीपी द्वारा जीएसटीपीएएम, एमसीसीआईए और अन्य कई कर संघों के सहयोग से आयोजित किया गया। दो दिवसीय इस सम्मेलन काे डिप्टी प्रेसिडेंट समीर जानी ने भी संबोधित किया और आयोजकों की विशेष सराहना की। सम्मेलन के आयोजन में विनायक पाटकर (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष) और अरुण बाहेती की महत्वपूर्ण भूमिका की भी तारीफ की गई।
सम्मेलन में महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर (एमसीसीआईए) के अध्यक्ष ललित गांधी ने कर पेशेवरों की भूमिका की प्रशंसा की और आयकर के साथ-साथ जीएसटी के अनुपालन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कर सुधारों के लिए प्रतिनिधित्व करने और कर प्रणाली को सरल बनाने में अपने चैंबर और एआईएफटीपी की सक्रिय भागीदारी का सुझाव दिया।
सम्मेलन के सत्र अध्यक्ष और वक्ताओं में पीसी जोशी, निकिता बधेका, रुचि राठौड़, विपुल जोशी, जी. बासकर, रतन सामल, संतोष शर्मा, धनंजय अखाडे, सिद्धेश्वर येलमाली, दीपक बापट, जनक वाघानी, इशान पाटकर, राजेन्द्र मीठारी और सुजाता रंगनेकर, राहुल ठाकर शामिल थे। इस आयोजन में मार्गदर्शन देने वालों में एस.एन. प्रसाद, अनिल माथुर, अश्विन आचार्य और महेश मडखोलकर प्रमुख थे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
