Jammu & Kashmir

अनुच्छेद 370, पुलिस सत्यापन 1987 पर संशोधनों की अस्वीकृति पर सज्जाद लोन ने किया वाकआउट

श्रीनगर, 04 मार्च (Udaipur Kiran) । पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद गनी लोन ने मंगलवार को अनुच्छेद 370, पुलिस सत्यापन और जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद बंदियों को वापस भेजने के संबंध में अपने संशोधनों की अस्वीकृति पर विधानसभा से वाकआउट किया।

प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद लोन खड़े हुए और स्पीकर अब्दुल रहीम राथर से अनुच्छेद 370, 1987 के चुनाव में धांधली की जांच और पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में उनके संशोधनों को नामंजूर किए जाने पर सवाल किया। स्पीकर ने कहा कि सदन में प्रक्रिया और कामकाज के संचालन के नियमों के तहत उन्हें नामंजूर किया गया है। लोन ने एलजी के अभिभाषण में सात संशोधन पेश किए थे लेकिन उनमें से केवल दो को ही अनुमति दी गई।

अपने संशोधनों में लोन ने कहा कि एलजी के अभिभाषण में अनुच्छेद 370 मौजूदा पुलिस सत्यापन प्रणाली को खत्म करने और 1987 के चुनाव में धांधली की जांच का कोई जिक्र नहीं था। लोन ने कहा कि पिछले सत्र में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का कोई जिक्र नहीं था। उन्होंने कहा हम पुलिस सत्यापन के शिकार हैं और नियम बहुत सख्त हैं। मैं खुद भी इसका शिकार हूं। किसी को भी उसके परिजनों द्वारा किए गए कामों के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। हम इन मुद्दों पर चुप नहीं रह सकते।

कांग्रेस विधायक निजामुद्दीन भट ने लोन के इस तर्क का समर्थन किया कि सदन में पुलिस सत्यापन पर चर्चा और बहस होनी चाहिए। लोन ने कहा अगर आपकी मंशा थी तो आपको एलजी के अभिभाषण में पीएसए को निरस्त करने का मुद्दा रखना चाहिए था। इस पर स्पीकर ने कहा कि ये मामले गृह मंत्रालय से संबंधित हैं। उन्होंने कहा जब तक राज्य की स्थिति बहाल नहीं हो जाती तब तक ऐसा नहीं किया जा सकता। एलजी के अभिभाषण में संशोधनों को अनुमति देने से स्पीकर के इनकार से नाराज लोन ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

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(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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