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केवल शत्रुता, आपराधिक केस व दुरुपयोग की आशंका पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त नहीं : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-लोक शांति व लोक सुरक्षा सहित धारा 17 की शर्तों पर ही लाइसेंस हो सकता है निलम्बित या निरस्त

प्रयागराज, 27 मई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी से शत्रुता, शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने का आधार नहीं हो सकता। केवल आपराधिक केस दर्ज होने पर भी शस्त्र लाइसेंस निलम्बित या निरस्त नहीं किया जा सकता। आयुध अधिनियम की धारा 17(3) में दी गई शर्तों के आधार पर ही शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। ऐसा करते समय जिलाधिकारी को कारण बताना होगा।

कोर्ट ने याची का शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी हापुड़ के आदेश 28 अप्रैल 23 व मंडलायुक्त मेरठ के अपील में पारित आदेश 27 अक्टूबर 23 को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। जिलाधिकारी हापुड़ को दो माह में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने देवेन्द्र सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची का शस्त्र लाइसेंस आपराधिक केस के कारण निरस्त किया गया। बाद में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। ऐसे में लाइसेंस निरस्त करने का आधार ही समाप्त हो गया है।

मामले के अनुसार याची के खिलाफ थाना बाबूगढ़ में एफआईआर दर्ज हुई। जिसके आधार पर जिलाधिकारी ने लाइसेंस निरस्त कर दिया। जबकि याची पर लाइसेंस के दुरुपयोग का आरोप नहीं है। केवल आपराधिक केस या लाइसेंस दुरुपयोग की आशंका पर लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता। याची के अधिवक्ता ने दर्जनों नजीरें पेश की। जिसके अनुसार लोक सुरक्षा व लोक शांति के आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। जिलाधिकारी हर केस के तथ्य के आधार पर निर्णय लेंगे। डीएम व कमिश्नर दोनों ने धारा 17 पर विचार नहीं किया। मैकेनिकल आदेश पारित किया। यह स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक के विशेषाधिकार का उल्लंघन है। निष्पक्षता से विचार कर निर्णय लेना चाहिए। कानून जिलाधिकारी को फ्री हैंड नहीं देता। कानून की शर्तों के अनुसार ही आदेश पारित किया जाना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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