Uttrakhand

एरीज ने मनाया 21वां स्थापना दिवस : वैज्ञानिक व्याख्यान और सूर्य अवलोकन का आयोजन

एरीज के स्थापना दिवस के तहत आयोजित रक्तदान शिविर में शामिल एरीज के वैज्ञानिक।

नैनीताल, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । नैनीताल के मनोरा पीक स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ने 22 मार्च को अपनी स्थापना के 21 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर संस्थान ने चार दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया है। समारोह की शुरूआत 19 मार्च को रक्तदान शिविर से हुई, जिसमें कर्मचारियों ने सामाजिक कल्याण के लिए योगदान दिया। 20 और 21 मार्च को आंतरिक विज्ञान-तकनीकी बैठक में वैज्ञानिकों और अभियंताओं ने अपने शोध कार्यों पर व्याख्यान दिए और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। मुख्य आयोजन 22 मार्च को शैले हॉल नैनीताल क्लब में होगा, जिसमें एम्स नई दिल्ली के प्रख्यात नेत्र चिकित्सक पद्मश्री डॉ. जीवन सिंह तितियाल और एरीज के वैज्ञानिक डॉ. जीवन पांडेय ने सार्वजनिक व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा विद्यार्थियों के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी और दूरबीन से सूर्य के काले धब्बों का सुरक्षित अवलोकन कराया जाएगा।

एरीज का इतिहास एवं उपलब्धियां

नैनीताल। एरीज के स्थापना दिवस पर बताया गया कि इसकी स्थाना संयुक्त उत्तर प्रदेश में राजकीय वेधशाला के रूप में 1954 में वाराणसी में हुई। 1955 में यह नैनीताल स्थानांतरित हुई और 1972 में 104 सेमी दूरबीन का संचालन शुरू हुआ। इस दूरबीन ने यूरेनस और शनि ग्रहों के वलयों की खोज में योगदान दिया। उत्तराखंड के गठन के बाद 2000 में इसे राजकीय वेधशाला नाम मिला और 2004 में यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के अंतर्गत एरीज बन गया। पिछले दो दशकों में एरीज ने 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप और 4 मीटर अंतरराष्ट्रीय तरल दर्पण टेलीस्कोप जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएँ स्थापित कीं।

इनसे तारे, आकाशगंगाएं, ब्लैक होल और सूर्य जैसे खगोलीय पिंडों पर शोध हुआ, जिसने भारत के खगोल विज्ञान में योगदान को बढ़ाया। इसके अलावा एरीज ने खगोल विज्ञान के साथ वायुमंडलीय विज्ञान में भी उल्लेखनीय कार्य करते हुए हिमालय क्षेत्र में वायु प्रदूषण और गुणवत्ता पर दीर्घकालिक अध्ययन और वैश्विक स्तर के वायुमंडलीय रडार से महत्त्वपूर्ण शोध किए गए और एरीज ने उत्तराखंड और नैनीताल का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया। निदेशक डॉ. मनीष कुमार नजा ने कहा कि भविष्य में संस्थान अंतरिक्ष मलबे की निगरानी शुरू करने की योजना बना रहा है। साथ ही एरीज प्रकृति के रहस्यों को सुलझाने और आत्मनिर्भर भारत के लिए कार्यरत है।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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