उज्जैन, 25 (Udaipur Kiran) । महाकालेश्वर मंदिर के गेट नंबर 4 से सशुल्क दर्शन और नियमित दर्शन वाले श्रद्धालु, पंडे, पुजारी, विभागों से प्रोटोकाल प्राप्त कर्मचारियों के लिये प्रवेश निर्धारित है। यहां से गुजरने वाले लोग चेकिंग पाइंट के पास बैरिकेड्स के समीप अपने जूते, चप्पल उतारकर मंदिर में दर्शन को जाते हैं। इसी गेट से वापस लौटते समय अपने जूते-चप्पल पहनते हैं।
गुरुवार को मंदिर समिति में काम कर रही सुरक्षा एजेंसी के कर्मियों ने करीब 150 श्रद्धालुओं के चप्पल-जूते डस्टबीन में भरवाकर, नगर निगम के कचरा कलेक्शन वाहन में डलवाया और निगम के कचरा घर पहुंचा दिया। सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि बड़ा गणेश मंदिर के सामने वाली साइड में कॉर्नर पर जूता स्टैंड बनाया गया है। नियमानुसार लोगों को वहीं अपने जूते चप्पल उतारकर प्रवेश करना है। गेट नंबर 4 से प्रवेश करने वाले लोग चेकिंग पाइंट के पास लगे बैरिकेड्स के नजदीक जूते, चप्पल, सेंडल, स्लिपर उतारते हैं और मंदिर में दर्शन के बाद पहनते हैं।
एक पाइंट पर एक समय में 200 से 300 जोड़ जूते चप्पल का ढेर लगता है जिससे गंदगी के साथ ही लापरवाही भी नजर आती है। गुरुवार सुबह चेकिंग पाइंट से प्रवेश गेट तक जितने भी जूते चप्पल पड़े थे, सभी को डस्टबीन में डलवाकर सफाईकर्मी से नगर निगम के कचरा कलेक्शन वाहन में डलवाकर कचरा घर भिजवा रहे हैं।
दूसरे शहरों के लोग बोले…हमारे यहां ऐसा नहीं होता
गेट नंबर 4 से सशुल्क दर्शनार्थी भी मंदिर में प्रवेश करते हैं। उक्त लोगों ने भी अपने जूते-चप्पल बैरिकेड्स के पास उतारे थे। जिन्हें सफाईकर्मी ने कचरा कलेक्शन वाहन में भेज दिया था। मुंबई से आई महिला श्रद्धालु को जब उसकी चप्पल नहीं मिली तो वह सुरक्षाकर्मियों से कहने लगी कि हमारे मुंबई के मंदिरों में ऐसा नहीं होता। यदि गलत जगह जूते चप्पल दिखते हैं तो उन्हें कर्मचारी एक स्थान पर एकत्रित कर देते हैं। इसी तरह राजस्थान के व्यक्ति ने जूते-चप्पल से भरे डस्टबीन को वापस उड़ेल दिया और बोला एक बार मेरे जूते मिल जाएं तो वापस भर दूंगा।
जूता-चप्पल स्टैंड पर न बोर्ड न दूर से दिखता
बड़ा गणेश मंदिर के सामने कॉर्नर पर मंदिर समिति द्वारा बनाये गये जूता-चप्पल स्टेण्ड में बड़ी खामियां हैं। एक तो समिति द्वारा स्टैंड पर या आसपास कहीं भी बोर्ड नहीं लगाया गया है। दूसरी समस्या यह कि जूता स्टैंड के आसपास लोगों ने फूल प्रसाद की दुकानें लगा ली हैं। दो पहिया चार पहिया वाहन खड़े हो रहे हैं, इस कारण लोगों को दूर से उक्त जूता स्टैंड नजर नहीं आता और लोग शीघ्र दर्शन के चक्कर में अपने जूते-चप्पल यहां वहां उतारकर चले जाते हैं।
जब लोग महाकाल मंदिर में दर्शन करने के बाद गेट नंबर 4 के रास्ते वापस लौटे तो उन्हें अपने जूते चप्पल दिखाई नहीं दिये। आसपास तलाश करने पर जब उन्हें पता चला कि उनके जूते चप्पल नगर निगम के वाहन में भर दिये गये हैं तो सभी लोग वाहन के ऊपर बैठे सफाईकर्मी के पास पहुंचे।
उक्त लोग सफाईकर्मी से कह रहे थे कि मेरी चप्पल सफेद रंग की है, दूसरा व्यक्ति कह रहा था मेरे जूते काले रंग के हैं और काफी महंगे हैं,प्लीज मेरे जूते ढूंढ दो। भले ही उसके बदले 100-50 रुपये ले लो। सफाईकर्मी ने एक दो व्यक्ति के जूते चप्पल तलाशे तब तक वाहन के आसपास 25-30 लोगों की भीड़ लग गई। यह देखकर उसने किसी के भी जूते चप्पल तलाशने से इंकार कर दिया और बोला वाहन के साथ ट्रेचिंग ग्राउंड चलो वहीं तलाश लेना।
इस संबंधा में मंदिर प्रशासक सह आय ए एस मृणाल मीना ने चर्चा में कहा- मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। इसकी पड़ताल करने के बाद आगे कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो इसका हर हाल में ख्याल रखा जा रहा है।
(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल / राजू विश्वकर्मा