
जम्मू, 20 मई (Udaipur Kiran) । ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि ज्येष्ठ मास अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस माह में व्यक्ति को स्नानादि करके शुद्ध रहना चाहिए तथा इंद्रियों को वश में कर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या एवं द्वेष जैसे दोषों का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए।
प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं, किंतु जब अधिकमास (मलमास) आता है तो इनकी संख्या 26 हो जाती है। अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 23 मई 2025 को प्रातः 01:12 बजे हो रहा है, जो उसी दिन रात्रि 10:30 बजे तक रहेगा। सूर्योदय व्यापिनी तिथि के अनुसार व्रत 23 मई शुक्रवार को रखा जाएगा। अपरा एकादशी व्रत का पारण 24 मई शनिवार को प्रातः 05:30 बजे से 08:40 बजे के बीच करना चाहिए।
बताते चलें कि इस व्रत को करने वाले व्रती को अपने चित्त, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक होता है। यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है। शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। एकादशी व्रत से व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है और बुद्धिमान एवं लोकप्रिय बनता है। उसके व्यक्तित्व में प्रभुत्व और तेजस्विता आती है। कोरोना महामारी जैसी परिस्थितियों में घर में ही पूजन, स्नान एवं दान करने की सलाह दी जाती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
